किसी अतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
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उत्तर-अंतरिक्ष यात्री आकाश में उस ऊँचाई पर होते हैं जहां वायुमंडल नहीं होता और न ही वहाँ कोई प्रकीर्णन हो पाता है इसलिए उन्हें आकाश नीला नहीं बल्कि काला प्रतीत होता है।
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उत्तर:-
पृथ्वी पर वायुमंडल उपस्थित होता है पृथ्वी पर वायुमंडल कई प्रकार की गैस धुल के कण तथा जलवाष्प से मिलकर बना होता है ।
सूर्य से निकलने वाली किरण में सात रंग होते हैं, जो क्रमशः बैगनी नीला जामुनी लाल हरा पीला नारंगी, सूर्य की किरणें वायुमंडल से टकराती है तब इन सात रंगों में विभाजित हो जाती है।
वायुमंडल की उपस्थिति के कारण पृथ्वी पर प्रकरण की क्रिया होती है। स्क्रीन की क्रिया के कारण नीले रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है जिसके कारण आकाश नीला प्रतीत होता है।
किंतु इसके विपरीत अंतरिक्ष में किसी भी प्रकार का वायुमंडल उपस्थित नहीं होता है जिसके कारण आकाश में किसी भी प्रकार का प्रकीर्णन नहीं होता है ,जिसके कारण सूर्य की किरने अलग-अलग रंगों में विभाजित नहीं हो पाती है तथा जिसके कारण अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।
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@GauravSaxena01.
पृथ्वी पर वायुमंडल उपस्थित होता है पृथ्वी पर वायुमंडल कई प्रकार की गैस धुल के कण तथा जलवाष्प से मिलकर बना होता है ।
सूर्य से निकलने वाली किरण में सात रंग होते हैं, जो क्रमशः बैगनी नीला जामुनी लाल हरा पीला नारंगी, सूर्य की किरणें वायुमंडल से टकराती है तब इन सात रंगों में विभाजित हो जाती है।
वायुमंडल की उपस्थिति के कारण पृथ्वी पर प्रकरण की क्रिया होती है। स्क्रीन की क्रिया के कारण नीले रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है जिसके कारण आकाश नीला प्रतीत होता है।
किंतु इसके विपरीत अंतरिक्ष में किसी भी प्रकार का वायुमंडल उपस्थित नहीं होता है जिसके कारण आकाश में किसी भी प्रकार का प्रकीर्णन नहीं होता है ,जिसके कारण सूर्य की किरने अलग-अलग रंगों में विभाजित नहीं हो पाती है तथा जिसके कारण अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।
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@GauravSaxena01.
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