Biology, asked by maahira17, 10 months ago

किसी भौगोलिक क्षेत्र में जाति क्षति के मुख्य कारण क्या हैं?

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Answered by nikitasingh79
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किसी भौगोलिक क्षेत्र में जाति क्षति के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं :  

(1) आवासीय क्षति तथा विखंडन :

ये जंतुओं एवं पादपों के विलुप्तीकरण का मुख्य कारण है।  

एक समय वर्षावन पृथ्वी के 14% क्षेत्र में फैले थे, जो अब 6 % से अधिक नहीं है। आवासीय क्षति के अलावा प्रदूषण के कारण भी आवास का विखंडन हुआ जिस से कई जातियों के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है।  

(2) अति दोहन :  

खाने के लिए भोजन एवं रहने के लिए स्थान के लिए मानव हमेशा प्रकृति पर निर्भर रहा है। अधिक की इच्छा रखने के कारण उसने प्राकृतिक संपदाओं का दोहन आरंभ कर दिया।

कई जातियां जैसे स्टीलर समुद्री गाय ,पैसेंजर कबूतर मानव द्वारा अति दोहन से विलुप्त हो गए हैं। आज बहुत सारे समुद्री मछलियों की जनसंख्या उनके शिकार के फलस्वरूप कम होती जा रही है कुछ व्यवसायिक महत्व के अन्य जातियों को भी खतरा है।  

(3) विदेशी जातियों द्वारा आक्रमण :  

अक्सर बाहरी जातियों का किसी क्षेत्र में प्रवेश करके व्यापारिक महत्व व अन्य उपयोग हेतु कराया जाता है। उनमें से कुछ विदेशी जातियां आक्रामक होकर स्थानीय जातियों में कमी उनके विलुप्त होने का कारण बन जाती है।

जैसे - जब नाइल पर्च को पूर्वी अफ्रीका की विक्टोरिया झील में डाला गया, तब झील में रहने वाली पारिस्थितिक रूप से बेजोड़ सिचलिड मछलियों की 200 से अधिक जातियां विलुप्त हो गई।  

(4) सहविलुप्ता :  

प्रकृति में कुछ अविकल्पी सहोपकारी संबंध पाए जाते हैं । जब उनमें से एक जाति विलुप्त होती है तब उस पर आधारित दूसरी जंतु एवं पादप जाति भी विलुप्त होने लगती है।  

उदाहरण : जब एक परपोषी मत्ता सी जाति विलुप्त होती है तब उस पर आश्रित विशिष्ट परजीवियों का भी वही भविष्य होता है।

(5) प्रदूषण :  

प्रदूषण स्थलीय एवं जलीय जीवों को भी प्रभावित करता है। यह मानव के क्रियाकलापों का ही दुष्परिणाम है ,जिसने जलाशयों को नष्ट कर दिया है। सीवेज की दूषित जल , कल कारखानों के दूषित रसायन युक्त जल को नदियों, तालाबों में सीधे डाल दिया जाता है, जिससे वहां के पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो जाते हैं।

वायु प्रदूषण से संवेदनशील पादपों; जैसे लाइकेन एवं ब्रायोफाइटा के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।  

(6) विक्षुब्धन :  

जीवों के प्राकृतिक आवास में होने वाले परिवर्तन को विक्षुब्धन कहते हैं। इसके अनेक कारण हो सकते हैं जैसे राजमार्ग का निर्माण सूखा पड़ना आग लगना बाढ़ पेड़ों की कटाई आदि। इन सभी के कारण जीवों के आवास क्षेत्र कम हो जाते हैं और उन्हें वहां से प्रवास करना पड़ता है। नए क्षेत्रों में उन्हें संघर्ष करना पड़ता है, जिससे उनके अस्तित्व को खतरा उत्पन्न होता है।  

(7) कृषि :  

कृषि हेतु अनेक वनों, घास के मैदानों को नष्ट कर दिया जाता है। इससे जीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाते हैं । कृषि हेतु कुछ उच्च उत्पादकता वाली पादप जातियों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिससे अन्य जातियों को नष्ट होने की संभावना रहती है । इससे अनुवांशिक विविधता का हृास होता है।

(7) वानिकी :  

प्राय: व्यावसायिक महत्व के पादपों को अलग से बड़ी संख्या में उगाया जाता है; जैसे साल, टीक आदि। इसके परिणामस्वरूप वन  में उपस्थित अन्य जातियों की संख्या पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।  

(8) जातियों का विलोपन :  

प्राकृतिक व मानवजनित क्रियाकलापों के कारण भी कई जातियां विलुप्त हो जाती है और जैव विविधता का हृास होता है; जैसे डोडा पक्षी।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

 

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Answered by Anonymous
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Answer:

  • विदेशी जातियों द्वारा आक्रमण :  

अक्सर बाहरी जातियों का किसी क्षेत्र में प्रवेश करके व्यापारिक महत्व व अन्य उपयोग हेतु कराया जाता है।

  • वायु प्रदूषण से संवेदनशील पादपों; जैसे लाइकेन एवं ब्रायोफाइटा के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।  

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