किसी भी राष्ट्र के लिए एकता बहुत आवश्यक है । राष्ट्रीय एकता के अभाव में राष्ट्र उन्नति नहीं
कर सकता । चाहे विकास कार्यों पर कितना ही व्यय किया जाए, विश्व की समस्याओं से स्वयं को
बचाने का प्रयास किया जाए, कोई भी कार्य उस समय तक सफल नहीं हो सकता जब तक देश
में भावात्मक एकता स्थापित नहीं हो जाती। हमारे देश में विभिन्न धर्मो को मानने वाले लोग रहते
हैं - हिंदू, मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन आदि । इन सभी के धार्मिक विश्वास अलग-
अलग होते हुए भी सभी भारतीय हैं । भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक भारतीय को समान
अधिकार दिए गए हैं और यह भी कहा गया है कि धर्म के आधार पर उनके साथ कोई भेदभाव नहीं
किया जाएगा। लेकिन जब व्यवहार में विभिन्न मतावलंबियों के बीच भेदभाव किया जाता है या
राजनैतिक एवं धार्मिक संगठन निहित स्वार्थों के लिए एक धार्मिक समुदाय को दूसरे धार्मिक समुदाय
के विरुद्ध भड़काने का कार्य करते हैं तो इससे सांप्रदायिकता का जन्म होता है ।
प्रश्न:
(i) राष्ट्रीय एकता के अभाव में क्या नहीं हो सकता ?
A) राष्ट्र उन्नति नहीं कर सकता
B) हम आज़ाद नहीं हो सकते
0 बच्चे काम नहीं कर सकते
D) युवा पीढ़ी खुश नहीं रह सकती
(ii) कोई भी कार्य कब तक सफल नहीं हो सकता ?
A) जब तक हम अपनी बात को स्पष्ट न करें B) जब तक राष्ट्रीय एकता स्थापित न हो
जब तक भावात्मक एकता स्थापित न हो D) जब तक धार्मिक एकता स्थापित न हो
(iii) सांप्रदायिकता का जन्म होता है ?
A) धर्म प्रचार से
B) अपने संप्रदाय को बड़ा मानने से
C) एक संप्रदाय की दूसरे के विरुद्ध करने से D) सभी संप्रदायों के अशिक्षित होने से
(iv) व्यवहार में किनके बीच मतभेद किया जाता है?
A) देशवासियों के बीच
B) राजनीतिज्ञों के बीच
C) धार्मिक नेताओं के बीच
D) विभिन्न मतावलंबियों के बीच
(v) धार्मिक संगठन सांप्रदायिकता क्यों फैलाते हैं?
-)
A) धर्म प्रचार के लिए B) परोपकार के लिए परमार्थ के लिए D) निहित स्वार्थ के लिए
Answers
☰
Do
शिक्षा
बाल अधिकार
बाल सुरक्षा पर पुस्तिका
अवस्था:
खुला

बाल सुरक्षा पर पुस्तिका
बाल-सुरक्षा
बाल अधिकारों को समझना
सुरक्षा का अधिकार
सुरक्षा एवं कानून
बाल-सुरक्षा
आपने जॉर्ज बर्नार्ड शॉ की प्रसिद्ध उक्ति सुनी होगी - 'मेरी दृष्टि में मानव मुक्ति शिक्षा से ही संभव है।' प्राचीन काल से भारतीय समाज में शिक्षकों का स्थान सबसे ऊँचा रहा है अर्थात् ईश्वर के बाद दूसरा स्थान गुरु का ही आता है ऐसे तो गुरु को परमबह्म कहा गया है।
एक शिक्षक अपनी निजी जिन्दगी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अच्छे शिक्षक अपने छात्र-छात्राओं के दिल में महत्वपूर्ण और पवित्र स्थान रखता है। माता-पिता के बाद शिक्षक ही बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित करता है तथा उसके व्यक्तित्व को सही रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आप सब जानते हैं कि प्रत्येक समाज में बच्चों को दुर्व्यवहार, हिंसा और शोषण का सामना करना पड़ता है। यदि आप अपने आस-पड़ोस में झाँककर देखें, तो पाएँगे कि छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाने के बजाय मजदूरी के काम में लगे हुए हैं। अधिकाँश बँधुआ माता-पिता अपने बच्चों की पिटाई करते हैं। कक्षा में शिक्षक भी उनकी पिटाई करते या फिर जाति व धर्म के आधार पर उनके साथ भेदभाव किया जाता है। महिला बाल शिशु को जन्म लेने से रोका जाता है। इसके लिए उनकी गर्भ में या फिर जन्म के बाद हत्या कर दी जाती है अथवा फिर उन्हें परिवार या समाज में भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। जन्म के बाद बालिकाओं को बाल-विवाह, बलत्कार या फिर तिरस्कार की मार अलग से झेलनी पड़ती है।
हाँ, कई बच्चों की जीवन की यही सच्चाई है। इनमें से कुछ बच्चें आपकी कक्षा या स्कूल में भी होंगे।
एक शिक्षक के रूप में जब आप देखते या सुनते हैं कि एक बच्चा अपमानित हो रहा है या शोषित हो रहा है, तो उस बारे में आप क्या करेंगे ?
क्या आप ...
भाग्य को दोष देंगे ?
क्या आप यह तर्क देंगे कि सभी प्रौढ़, बाल अवस्था से गुजरते हुए उस अवस्था तक पहुँचे हैं, तो इसके साथ गलत क्या है ?
तर्क देंगे कि यह तो रीति-रिवाज व प्रचलन है इसलिए इस बारे में कुछ नहीं किया जा सकता।
गरीबी पर दोष मढ़ेगे।
भ्रष्टाचार पर आरोप लगाएँगे।
परिवार वालों को दोषी ठहराएँगे कि वे इसके लिए कुछ नहीं करते।
(i)राष्ट्र एकता के अभाव में उन्नति नहीं कर सकता। कितने भी विकास कार्यो का व्यय किआ जाए, स्वयं को विश्व की समस्याओं से बचाने का प्रयत्न किआ जाए परन्तु भावात्मक एकता के बिना कुछ संभव नहीं।
(ii)जब तक भावात्मक एकता स्थापित न हो। जब तक भावत्मक एकता स्तापित नहीं हो जाती तब तक किसी भी कार्य का पूरा होना असंभव है।
(iii)सांप्रदायिकता का जन्म होता है जब एक संप्रदाय की दूसरे के विरुद्ध हो जाए। जब मतावलंबियों के बीच भेदभाव किया जाता है या राजनैतिक और धार्मिक संगठन निहित स्वार्थ के लिए एक धार्मिक समुदाय को दूसरे के विरुद्ध भड़काने का कार्य करते हैं तो सांप्रदायिकता जन्म लेता है।
(iv)विभिन्न मतावलंबियों के बीच भेदभाव की भावना जाग उठती है। ये सब इसलिए ही होता है क्यूंकि उनके बीच भावात्मक एकता स्तापित नहीं हो पाती।
(v)निहित स्वार्थ के लिए धार्मिक संगठन सांप्रदायिकता फैलाते हैं और फिर इसकी वजह से ही सम्प्रयिक्ता का जन्म होता है।
#SPJ2