Hindi, asked by poojanarang1123, 26 days ago

किस भारतीय राज्य की राजधानी में रवींद्रनाथ टैगोर तथा उनके भाई द्वारा खरीदी गई एक पहाड़ी का नाम 'टैगोर
हिल' रखा गया है?​

Answers

Answered by ramasha282
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टैगोर हिल एक रमणीय स्थान बनने से पहले यह रवींद्र नाथ के बड़े भाई ज्योतिंद्र नाथ का आश्रम था और इससे पहले यह उनके एक विश्राम घर था। टैगोर परिवार तो मूलतः कोलकाता निवासी था। रांची के मोहराबादी स्थित इस पहाड़ी का नामकरण गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ टैगोर के नाम पर ही हुआ है। इससे पहले यह मोरहाबादी पहाड़ के नाम से जाना जाता था। ज्योतिंद्रनाथ ने इस पहाड़ी को वहां के जमींदार हरिहर सिंह से सन् 1908 में खरीदा था।

ज्योतिंद्रनाथ 1908 में यहां आए थे और यहां की आबोहवा से काफी प्रभावित हुए थे। उन्होंने अपने विश्रामस्थल के रूप में विकसित करने के लिए इस पहाड़ी के साथ 15 एकड़ 80 डिसमिल जमीन हरिहर सिंह जमींदार से 23 अक्टूबर 1908 में ली थी। पहाड़ी पर पहले से ही बना एक रेस्टहाउस भी था जो आज भी मौजूद है।

इस रेस्टहाउस के बनने की कहानी भी दिलचस्प है। रांची के अंग्रेज प्रशासक लेफ्टिनेंट कर्नल जे. आर. ओसली ने सन 1842 में इस पहाड़ी पर गर्मियों में रहने के लिए इसका निर्माण कराया था। ओसली प्रातःकालीन भ्रमण के दौरान घोड़े पर सवार होकर यहां आया करता था। बाद में यह आवासीय परिसर वीरान हो गया।

वर्ष 1884 में पत्नी के निधन के बाद ज्योतिंद्रनाथ बैरागी हो गए। सन 1902 से 1907 के बीच परिवार के कई अन्य सदस्यों की मृत्यु के बाद ज्योतिंद्रनाथ शांति की तलाश में रांची आ गये और मोराबादी की इस पहाड़ी पर स्थित आवासीय हिस्से की मामूली मरम्मत कराकर रहने लगे। यहां उन्होंने ब्रम्ह मंदिर और शांतिधाम बनवाया तथा सीढ़ियों का निर्माण कराया। वह यहां पेड़ के नीचे प्रार्थना उपासना किया करते थे।

राष्ट्रकवि और एशिया के प्रथम नोबेल विजेता से संबंध होने के कारण इस धरोहर का अंतरराष्ट्रीय महत्व है। लगभग 300 फीट उंची इस पहाड़ी के बीच के हिस्से में शांति धाम, प्रार्थना एवं उनासना स्थल तथा समाधि स्थल है। गुरुदेव के बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ टैगोर ने 1924 में इसी पहाड़ी पर रह कर बाल गंगाधर तिलक द्वारा मराठी में लिखित गीता रहस्य का बंग्ला अनुवाद किया था। चार मार्च 1925 को ज्योतीरींद्रनाथ टैगोर का निधन हुआ। उनके निधन के बाद भी उनके परिवार के कई सदस्य वर्षों तक यहां आते-जाते रहे, जिसके कारण इसे टैगोर हिल के नाम से प्रसिद्धि मिली।

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