किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है उसके कर्मों से तर्क सहित उत्तर दीजिए
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Answer:
व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्धारण उसकी जाति या धर्म से न होकर उसके कर्मों के आधार पर होती है। कबीर ने स्वर्ण कलश और सुरा (शराब) के माध्यम से अपनी बात स्पष्ट की है। जिस प्रकार सोने के कलश में शराब भर देने से शराब का महत्व बढ़ नहीं जाता तथा उसकी प्रकृति नहीं बदलती।
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राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि राजा केवल ऊँचे कुल में जन्म लेने के कारण महान नहीं बने वे महान बने तो अपने उच्च कर्मों से। किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है। इनके विपरीत कबीर, सूर, युल्सी बहुत सामान्य घरों से थे। इन्हें बचपन में ठोकरें भी कहानी पड़ीं।
Explanation:
व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्धारण उसकी जाती या धर्म से न होकर उसके कर्मो के आधार पर होती है। कबीर ने स्वर्ण कलस औऱ सूरा से अपनी बात स्पष्ट की है । जिस प्रजार स्वर्ण कलस में सराब भर देने से सराब का मह्त्व बर नही जाता तथा उसकी प्रकृति नही बदलती। उसी प्रकार श्रेष्ठ कुल में जन्म लेने मात्र से उसका गुण निर्धारित नही होता । मनुष्य की गुण की पहचान उसके कर्म से होती है। अपने कर्म के माध्यम से ही समाज मे प्रतिष्ठित होते हैं। कुल तथा जाती द्वारा प्राप्त प्रतिष्ठा अस्थायी होती है।