किसी भी वस्तु का दुरुपयोग करने से क्या होता है
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वसुनंदी महाराज ने आचार्य वसुनंदी मुनिराज ससंघ ने शुक्रवार सुबह जिनशासन तीर्थ क्षेत्र जैन नगर में शनिवार सुबह आयोजित धर्मसभा में कहा कि वस्तु का सदुपयोग किया जाए तो वह वरदान बन जाती है, अन्यथा अभिशाप। धन का सदुपयोग होना चाहिए। हम जीवन में यदि गलतियां करते रहते हैं तो हम अपनी मंजिल प्राप्त नहीं कर सकते हैं। जीवन का सदुपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम यह दावे के साथ नहीं कह सकते हैं कि हमारे जीवन का अंतिम पड़ाव कब आएगा। आज हमारी जिन्दगी की स्थिति है हम जिन्दगी भर लालटेन का कांच साफ करते हैं पर हम अपने अंदर की ज्योति न जला सके। हमें अंदर से प्रयास करते रहना चाहिए। जिस प्रकार किसान खेत में बीज बो कर ही अनाज प्राप्त कर सकता है व बिना बीज डाले वह बुवाई सिंचाई करने पर भी अनाज प्राप्त नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि अपने अंदर भी मंगल मय पुण्य का उदय होने पर ही लाभकारी है। बाहरी मंगल होने पर यात्रा हमारे लिए लाभकारी नहीं हो सकती है। हम खाली हाथ आते हैं एवं खाली हाथ जाते हैं। कल जीवन का कोई भरोसा नहीं है, यदि शरीर से प्राण निकले तो जीवन का अंत हो जाता है तो फिर किस बात का हम अहंकार करते हैं। धर्म सभा के प्रारंभ में मंगलाचरण मनोज कोलानायक व वीरेंद्र कुमार जैन बाड़मेर वालों ने किया।