किसी एक ऐसी घटना को अनुच्छेद के रूप में लिखिए,जब आपने बुद्धि के प्रयोग से बिगड़ी बात बनाई हो
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प्ररत्तावना:
पिछले वर्ष होली की छुट्टियो में बड़ी अजीबों-गरीब घटना हुई । निश्चय ही यह मेरे जीवन का अति महत्वपूर्ण दिन था, क्योंकि इसी दिन मैंने इस कहावत की सच्चाई को पूरी तरह परखा कि “नीम हकीम, खतराए जान” ।
घटना केसे घटी ?
एक दिन मैं अपने पढ़ाई के कमरे में एक उपन्यास पढ़ रहा था । घडी ने जैसे नौ का घटा बजाया, मेरे चार मित्र कमरे में आ गए । वे बड़े खुश दिखाई दे रहे थे । उन्हें हंसी-मजाक के मूड़ में देख कर मेरे पिताजी हमें अकेला छोड़ कर कमरे से बाहर चले गए ।
इसी बीच एक नवयुवक हमारे बीच आया । वह बड़ा हंसमुख व्यक्ति था और विभिन्न विषयो पर बड़ी रोचक बातें बता कर उसने हमारा खूब मनोरंजन किया । बातों-ही-बातों में उसने हम लोगों से पूछा कि क्या हम सम्मोहन के बारे में कुछ जानते हैं । हम सभी ने सम्मोहन का नाम तो सुना था, पर उसके बारे में जानते कुछ न थे ।
अत: हम सभी कौतूहल से बोल पड़े कि क्या वह इस बारे में कुछ जानता है, तो हमें बतायें । उसने बड़ी जोर से कहा कि उसे सम्मोहन का पूरा ज्ञान है । यह उसने इतनी जोर से कहा कि दूसरे कमरे में बैठे मेरे पिताजी को लगा कि हमारे बीच कोई झगड़ा हो गया है ।
वे दौड़ते हुए मेरे कमरे में आए । वे हमारे झगड़ालू स्वभाव से परिचित थे । उस नवयुवक के अनुरोध पर मेरे पिताजी मुस्कारते हुए पुन: कमरे से बाहर चले गए ।
एक लड़के को उसने कैसे सम्मोहित किया ?
वह एक विशेष ढंग से चिल्लाने लगा और कहा कि “हाँ मै जानता हूं । मैंने अपना समूचा जीवन इसी पर लगाया है ।” हमारी उत्सुकता इतनी बढ़ गई कि हमने उससे सम्मोहन का प्रदर्शन करके दिखाने का अनुरोध किया । हमारे बार-बार अनुरोध पर वह उठ खड़ा हुआ और उसने हम मे से एक लड़के को आने को कहा । वह एक बाजीगर की भाँति चिल्लाया’ देखो, मेरे बच्चो, अब यह छोटा लड़का सम्मोहित हो जायेगा ।”
ऐसा कहकर उसने मेरा एक कम्बल को जमीन पर बिछाया और उस पर लड़के को पीठ के बल लिटा दिया । उसने सामने दीवार पर एक काला निशान लगा दिया और लड़के को उस बिन्दु पर बिना पलक झपकाये एकटक देखते रहने को कहा ।
कुछ देर बाद धीरे-धीरे उसने लड़के के शरीर पर हाथ फेरना शुरू किया । कुछ ही देर में लडके की आखें मुंद गई । लड़का एकदम बेहोश हो गया ।
प्ररत्तावना:
पिछले वर्ष होली की छुट्टियो में बड़ी अजीबों-गरीब घटना हुई । निश्चय ही यह मेरे जीवन का अति महत्वपूर्ण दिन था, क्योंकि इसी दिन मैंने इस कहावत की सच्चाई को पूरी तरह परखा कि “नीम हकीम, खतराए जान” ।
घटना केसे घटी ?
एक दिन मैं अपने पढ़ाई के कमरे में एक उपन्यास पढ़ रहा था । घडी ने जैसे नौ का घटा बजाया, मेरे चार मित्र कमरे में आ गए । वे बड़े खुश दिखाई दे रहे थे । उन्हें हंसी-मजाक के मूड़ में देख कर मेरे पिताजी हमें अकेला छोड़ कर कमरे से बाहर चले गए ।
इसी बीच एक नवयुवक हमारे बीच आया । वह बड़ा हंसमुख व्यक्ति था और विभिन्न विषयो पर बड़ी रोचक बातें बता कर उसने हमारा खूब मनोरंजन किया । बातों-ही-बातों में उसने हम लोगों से पूछा कि क्या हम सम्मोहन के बारे में कुछ जानते हैं । हम सभी ने सम्मोहन का नाम तो सुना था, पर उसके बारे में जानते कुछ न थे ।
अत: हम सभी कौतूहल से बोल पड़े कि क्या वह इस बारे में कुछ जानता है, तो हमें बतायें । उसने बड़ी जोर से कहा कि उसे सम्मोहन का पूरा ज्ञान है । यह उसने इतनी जोर से कहा कि दूसरे कमरे में बैठे मेरे पिताजी को लगा कि हमारे बीच कोई झगड़ा हो गया है ।
वे दौड़ते हुए मेरे कमरे में आए । वे हमारे झगड़ालू स्वभाव से परिचित थे । उस नवयुवक के अनुरोध पर मेरे पिताजी मुस्कारते हुए पुन: कमरे से बाहर चले गए ।
एक लड़के को उसने कैसे सम्मोहित किया ?
वह एक विशेष ढंग से चिल्लाने लगा और कहा कि “हाँ मै जानता हूं । मैंने अपना समूचा जीवन इसी पर लगाया है ।” हमारी उत्सुकता इतनी बढ़ गई कि हमने उससे सम्मोहन का प्रदर्शन करके दिखाने का अनुरोध किया । हमारे बार-बार अनुरोध पर वह उठ खड़ा हुआ और उसने हम मे से एक लड़के को आने को कहा । वह एक बाजीगर की भाँति चिल्लाया’ देखो, मेरे बच्चो, अब यह छोटा लड़का सम्मोहित हो जायेगा ।”
ऐसा कहकर उसने मेरा एक कम्बल को जमीन पर बिछाया और उस पर लड़के को पीठ के बल लिटा दिया । उसने सामने दीवार पर एक काला निशान लगा दिया और लड़के को उस बिन्दु पर बिना पलक झपकाये एकटक देखते रहने को कहा ।
कुछ देर बाद धीरे-धीरे उसने लड़के के शरीर पर हाथ फेरना शुरू किया । कुछ ही देर में लडके की आखें मुंद गई । लड़का एकदम बेहोश हो गया ।