किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय लिखिए : ( i ) मुंशी प्रेम चन्द , li ) सुधा अरोड़ा , " भारतेन्दु हरिश्चंद्र प्रश्न
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पॐऋ गॐ दॐई पॐऋ ाॐउ गॐ बॐ िॐउ लॐऋ पॐऋ गॐ बॐ बॐ ौॐऊ
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भारतेंदु हरिश्चंद्र ने वाराणसी से कविता केंद्रित पत्रिका 'कविवचनसुधा' का प्रकाशन 15 अगस्त, 1867 को प्रारंभ किया था। इस तरह हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता के 150 वर्ष पूरे हुए। भारतेंदु 'कवि वचन सुधा' में आरंभ में पुराने कवियों की रचनाएँ छापते थे जैसे चंद बरदाई का रासो, कबीर की साखी, जायसी का पदमावत, बिहारी के दोहे, देव का अष्टयाम और दीन दयाल गिरि का अनुराग बाग। लेकिन जल्द ही पत्रिका में नए कवियों को भी स्थान मिलने लगा। पत्रिका के प्रवेशांक में भारतेंदु ने अपने आदर्श की घोषणा इस प्रकार की थी -
"खल जनन सों सज्जन दुखी मति होंहि, हरिपद मति रहै।
अपधर्म छूटै, स्वत्व निज भारत गहै, कर दुख बहै।।
बुध तजहि मत्सर, नारि नर सम होंहि, जग आनंद लहै।
तजि ग्राम कविता, सुकविजन की अमृतवानी सब कहै।"
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