किसी एक नदी के ऊपर सफाई की योजना लिखे
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गंगा’ शब्द सुनते ही पवित्रता की अनुभूति होती है क्या ये गंगा अब उतनी ही पवित्र है, जितनी की पूर्व में थी? हम भारतीयों के लिये गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है, ये हमारी सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ी है, हमेशा से सुनते आये हैं कि गंगा मेें डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं लेकिन हमने अपने पापों के अलावा सब कुछ (मैल, गन्दगी) इस गंगा में प्रवाहित करना प्रारम्भ कर दिया ऐसा करते-करते आज गंगा इतनी मैली हो गई है कि इसका गंगा होने का अस्तित्व ही समाप्त होता जा रहा है। आज गंगा सिर्फ कूड़ा-कचरा बहाकर ले जाने वाली नाला बन के रह गई है जो हमारे पापों को धुलने की क्षमता रखती थी, आज वो हमारे कारण खुद ही मैली हो गई है जिस गंगा पर हमें गर्व होता था, आज उसी गंगा को हमारी वजह से लज्जित होना पड़ रहा है। चूँकि गंगा का ये हाल हमारी वजह से हुआ इसलिये हमें स्वयं गंगा के शुद्धिकरण के विषय में तुरन्त महत्त्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए। ये बहुत ही चिन्ताजनक विषय है। इसलिये इसको प्राथमिकता देना चाहिए।