किसी एक विषय पर 80 - 100 शब्दों में निबंध लिखिए।
1. विज्ञान का लाभ और हानि
2. अनुशासन और में
3. पानी मेरा जीवन
4. मेरा उत्सव
Answers
जीवों में मानव ने सर्वाधिक प्रगति की है और आज समस्त ब्रह्मांड को अपने सन्मुख नतमस्तक कराया है। प्रकृति के गूढ़तम रहस्यों को जानने में मानव ने सफलता अर्जित की है। ये सभी विज्ञान और विज्ञान में मानव की दिलचस्पी से ही संभव हो पाया है। विज्ञान की प्रगति ने मानव में नवचेतना का संचार किया है। आज मानव मुश्किल से मुश्किल और अत्यन्त खतरनाक कामों को भी करने से नहीं कतरा रहा है।
➥अब यह प्रश्न उठता है कि विज्ञान से लाभ हुआ है या हानि ?
✍ जैसा कि हम जानते हैं कि हर किसी चीज का अच्छा और बुरा दोनों ही पहलू होता है, अर्थात् यदि कोई चीज हमें सुख दे सकती है तो कभी दुख का कारण भी बन सकती है। सर्वप्रथम हम विज्ञान से लाभों का आंकलन करें तो पाते हैं कि हमारे रोजमर्रा के कार्यकलापों और विकास में विज्ञान ने अहम भूमिका निभाई है। चाहे भोजन पकाना हो, शिक्षा की बात हो अथवा अन्य कामकाज की बात हो, हर जगह वैज्ञानिक उपकरणों का प्रयोग होता दिखाई देगा। बिना टेलिफोन, बिजली, टी0वी0, कम्प्यूटर, वाहन आदि के हमारी जिन्दगी कैसी होगी यह सोचकर भी किसी का मन दहल उठेगा? इन साधनों ने हमारी जिन्दगी को अत्यन्त सुलभ बना दिया है। आज विश्व के हर कोने के लोग परस्पर किसी न किसी रूप में एक-दूसरे से जुड़ गए हैं। संसार में होने वाली हर गतिविधियों से हम अनभिज्ञ नहीं रहते।
अपितु, विज्ञान के दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता! विज्ञान ने हमारे जीवन को सुलभ बनाने के साथ ही नाना प्रकार के रोग, प्रदुषण और खतरे पैदा किये हैं। नाभिकीय और परमाण्वीय प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण प्रदुषण विकराल रूप धारण कर चुकी है। पेयजल, वायु और भूमि प्रदुषण से हमारे अस्तित्व पर संकट के बादल छाने लगे हैं। अनेक प्रकार के वन्य जीव-जंतु एवं वन्य प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो गयी हैं या विलुप्ति के कगार पर है। अत्यधिक वैज्ञानिक गतिविधियों ने संसार के विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा तथा तापमान में विषमता लायी है।
अतः ❝यह कहना अत्योशक्ति न होगा कि विज्ञान ने जितना हमें दिया है, उतना हमसे लिया भी है। प्रगति अपने नैसर्गिक सौन्दर्य से वंचित हो रही है। अतः हमें और अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं को विज्ञान के सीमित प्रयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके। इस प्रकार हम विज्ञान तथा प्रकृति दोनों का लाभ उठा सकेंगे❞।
Answer:
जल है तो कल है”, बावजूद इसके जल बेवजह बर्बाद किया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है। हम हमेशा से सुनते आये हैं “जल ही जीवन है”। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है जल, या यूं कहें कि यही सभी सजीवो के जीने का आधार है जल। धरती का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किन्तु इसमें से 97% पानी खारा है जो पीने योग्य नहीं है, पीने योग्य पानी की मात्रा सिर्फ 3% है। इसमें भी 2% पानी ग्लेशियर एवं बर्फ के रूप में है। इस प्रकार सही मायने में मात्र 1% पानी ही मानव के उपयोग हेतु उपलब्ध है।
नगरीकरण और औद्योगिकीरण की तीव्र गति व बढ़ता प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जाती है, लेकिन हम हमेशा यही सोचते हैं बस जैसे तैसे गर्मी का सीजन निकाल जाये बारिश आते ही पानी की समस्या दूर हो जायेगी और यह सोचकर जल सरंक्षण के प्रति बेरुखी अपनाये रहते हैं।
hope it's helpful for you.‼️