किसी एक विषय पर लठाममा 150 शब्दों में
रचनात्मक लेख लिखिए
शिक्षा में खेल-कूट का स्थान
Answers
Explanation:
भूमिका- शिक्षा का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व है और शिक्षा से अभिप्राय मानसिक विकास के साथ साथ शारिरिक विकास से भी है। हमारी पूर्ण शिक्षा के लिए खेल बहुत ही आवश्यक है क्योंकि स्वास्थ्य शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। खेल व्यक्ति के मनोरंजन का भी साधन है और इनसे हमें बहुत से अच्छे गुण सिखने को मिलते हैं। उच्च शिक्षा के लिए खेल कुद में भागीदारी होना अति आवश्यक है। शिक्षा के तीन भाग है। पहला शारीरिक ज्ञान, दूसरा मानसिक ज्ञान और तीसरा आत्मिक ज्ञान और तीनों को ही प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य का अच्छा होना आवश्यक है। खेल और शिक्षा को एक दूसरे के पूरक माना जाता है और दोनों का ही एक दुसरे के बिना कोई वजूद नहीं है।
खेलों की जरुरत-
हमारे शरीर को स्वस्थ रखने और मस्तिष्क को मजबूत रखने के लिए खेल कूद बहुत ही जरुरी है। यदि कोई व्यक्ति रोज खेल कूद करेगा तो वह स्वस्थ रहेगा और उसका दिमाग बेहतरीन रूप से कार्य करेगा जिससे उसकी शिक्षा के प्रति रुची बढ़ेगी और वह पहले के मुकाबले अच्छे से पढ़ सकेगा। बच्चा किताबों से भाईचारा, प्रेम और मिल जुलकर कार्य करने की सद्भावनाओं को पढ़ता है लेकिन खेल के मैदान में उन सब गुणों को सिखता है और अपने जीवन में अपनाता है। किताबी ज्ञान को ही केवल शिक्षा नहीं कहा जाता है अपितु इसे अपने जीवन में अपनाना और साथ ही शारीरिक ज्ञान को प्राप्त करना ही उचित शिक्षा है। बच्चों का तो खेल कुद से बहुत ही गहरा नाता है क्योंकि वह खेल खेल में बहुत कुछ सीखते हैं जिन्हें वह जिंदगी भर नहीं भूल सकते हैं। यह उनके लिए मनोरंजन के साथ साथ बहुत से गुणों को अपनाने का भी माध्यम हैं।
खेलों के लाभ-
खेल कूद करने से शरीर का प्रत्येक भाग सुचारु रुप से कार्य करता है और उसे ताजगी का अनुभव होता है जिससे उसका पढ़ाई में मन लगने लगता है। खेलने से व्यक्ति की ऐकागृचीत भावना में वृद्धि होती है और पढाई में रूचि लेता है। खेलने से उसकी सोचने की क्षमता वृद्धि होती है। इतना ही नहीं खेलों में भविष्य भी उजागर है इसलिए पढाई के साथ साथ खेल कूद भी बहुत महत्वपूर्ण है। खेल कुद व्यक्ति को सभी काम समय पर करना सिखाता है और उसे पहले से ज्यादा अनुशासित बनाता है। शिक्षा के साथ साथ खेल भी व्यक्ति के बेहतरीन चरित्र के निर्माण में मदद करते हैं। खेल कूद शरीर में रक्तसंचार को सूचारु रखते हैं। खेलों से राष्ट्रीय एकता की भावना का भी निर्माण होता है। यह राष्ट्र के विकास के लिए बहुत ही लाभदायक है। खेल कुद से बच्चों में आत्मविश्वास और प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत होती है। व्यक्ति अपनी हार और जीत को खुशी खुशी अपनाना सीख जाता है और अपनी कमियों को पहचानता है। यहीं काम वह शिक्षा के समय पर करता है और अपनी कमियों को पहचान उन्हें सुधारने का प्रयास करता है। जब इंसान अपनी गलतियों को समझ जाता है तो वह उन्हें सुधारता है और पहले से बेहतरीन प्रदर्शन करता है।
स्कूलों में खेल-
शिक्षा में खेलों के महत्व को समझते हुए खेल कुदो को एक विषय के रुप में पढ़ाया जाता है। समय समय पर बच्चों के मनोरंजन और उनके शारीरिक विकास के लिए स्कूल और कोलजों में विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। शिक्षकों को भी चाहिए कि वह बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ खेल के लिए भी प्रोत्साहित करे और उन्हें उच्च शिक्षा और पूर्ण विकास की तरफ अग्रसर करे। बहुत से बच्चे तो आज शिक्षा के बल पर ऊंचे ऊंचे पदों पर है।
निष्कर्ष-
खेल कूद शिक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है जिनके बिना शिक्षा प्रणाली बिल्कुल अपंग है। आज के युग में हमें केवल किताबी कीड़ा नहीं बनना चाहिए अपितु खेल कुद की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। हर व्यक्ति को अपने जीवन में किसी न किसी खेल को अवश्य अपनाना चाहिए जिससे कि उसका सही से विकास हो सके। वैसे भी कहा भी जाता है कि सारा दिन पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे खराब, खेलोगे कुदोगे तो बनोगे नवाब। सारा दिन पढ़ते रहने से भी मनुष्य तनाव ग्रस्त हो जाता है और उसी तनाव से राहत पाने के लिए खेल सहायक है और बुद्धि में भी वृद्धि होती है। खेल हमारे मस्तिष्क को शांत रखने में मदद करते हैं और हमें सुव्यवस्थित तरीके से काम करने में मदद करते हैं। किसी भी व्यक्ति के विकास में खेल कुद की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हम चाहे कितने भी दिमाग वाले हो पर चलना हमें पैरों से ही पढ़ता है और उसके लिए अच्छा स्वास्थ्य जरुरी है। बहुत से व्यक्ति अच्छे पदों से दुर्बल काया होने के कारण वंचित रह जाते हैं। हम सबको खेलों को अपनाना चाहिए और जिंदगी की इस दौड़ में किसी भी तरह से पीछे नहीं रहना चाहिए