किसी एक विषय पर १५-२० पंक्तियों में निबंध लिखो।सैनिक की आत्मकथा
Answers
Answer:
सैनिक की आत्मकथा
एक सैनिक को निर्माण होने मे कडी मेहनत, हुनर और संयम होना पडता है| सैनिक को निर्माण होने मे और एक चीज की जरुरत होती है और वह है उसकी मानसिकता| एक सैनिक जब उसी मानसिकता के आधार पर युद्ध मे उतरता है तब उसे पक्का पता होता है की वह मृत्यू को जितने के लिये मैदान मे उतरा है| ऐसी मानसिकता सिर्फ साहसी और हुनरवाले लोगोंके पास ही होती है|
मै एक सैनिक हु| कडी मेहनत के बाद मैने इस वर्दी को पहना है| बचपन से मेरा एक ही सपना रहा है और वह है एक सैनिक बनके देश की सेवा करना, अपनी मातृभूमी की दुष्मनोसे रक्षा करना| और इसी के चलते मैने मेहनत करना सुरु किया|
घर की नाजूक हालात थी| फिर भी मैने हार नही मानी| अपने लक्ष के मंजील तक पहुचने के लिये सभी हालात पर काबू पाकर मैने अपना सपना पुरा किया| मेरे मांता – पिता के आंखो मे आसू थे| हालाकी मेरे माता – पिता पहले मेरे फैसले से नाराज थे| उनको लगता था की सैनिक मतलब मौत| कभी युद्ध होगा तो कही मेरे बच्चे की जान चली तो| अकेला लडका है आगे कोही मरने के बाद कंधा देने के लिये होना चाहिये ना| परंतु मेरा हुनर और लक्ष के प्रती मेहनत देखकर उन्होने मेरे फैसले का आदर किया|
सैनिक मे भर्ती होने के बाद पहले जो ट्रेनिंग होती है वह सबसे कठीण होती है| कही ऐसे बंदे होते है वह बीच मे ही ट्रेनिंग छोडके घर वाफस आते है| मैने ऐसा कूछ नही किया, कितनी भी कठीनाई हो, उसपर जीत हासील करना मेरा लक्ष था| उसी के चलते मैने यह ट्रेनिंग पुरी कर दी| सैनिक होना एक अपने आप पर गर्व होना जैसा लगता है| जब तक आप अपने लक्ष को अपना नही बनाते तब तक लक्ष आपसे दूर रहता है लेकीन जब आप लक्ष को अपना साथी बनाते है तब लक्ष भी आपके साथ खडा रहता है|
सैनिक की भर्ती और कडी ट्रेनिंग होने के बाद जो मुख्य काम है और वह है अपने मातृभूमी का रक्षण करना| कैसे भी हालात हो सैनिक कभी पीछे नही हटता, चाहे मृत्यू क्यू ना सामने आये| जब मै सैन्य मे भर्ती हो गया तब भारत पाक युद्ध चल रहा था| मुझे लगा आज सही मौका है अपने मातृभूमी का कर्ज अदा करने का| अगर मरण आया तो वीरमरण आयेगा| सारा देश नमन करेगा| मुझपर माता – पिता गर्व करेंगे| रोयेंगे लेकीन गर्व से अपने बेटे नाम लेंगे|
काश्मीर मे मेरी पहली ड्युटी लगी | तब वहा हालात बहुत खराब थे| स्वर्ग जैसे भूमी को नर्क जैसा बना दिया था| आये जाये कही ना कही किसी की मौत ही होती रहती थी| ऐसे हालात मे मैने अपने जोश के साथ युद्ध मे सामील हो गया| हमारी सेना आगे बढ रही थी| मै भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर लढ रहा था| कही मेरे दोस्त धारार्थी पडे थे| कही सैनिक जख्मी हुये थे| कही ऐसे सैनिक थे उनको पानी पिलाने के लिये कोही नही था क्युंकी हमारे पास समय कम था| दुश्मन गोलिया हम पर बरसा रहा था | परंतु हम उनके साथ लढते हुये जख्मी सैनिक का भी खयाल रखते थे| आंखो मे आसू थे लेकीन आगे दुश्मन हमारे मातृभूमी की तरफ आते देखकर हमारा मन खून से खोलता था और हम तेजीसे दुश्मन पर तुट पडते थे| हमने दुष्मनो के कही बंकर तोफोसे उडा दिये थे| उनके कही सैनिक हमने मार चुके थे| भारत माता की जय बोलते हुये हम आगे बढ रहे थे| और आखिरकार हमारी मेहनत काम आयी, हमने यह युद्ध जीत लिया| मन को अलग सा आनंद मिल रहा था| ऐसा आनंद सिर्फ एक सैनिक को ही मिलता है|
युद्ध किसी के लिये लाभदायक नही है, लेकीन जब देश की बात आती है तब सैनिक कुछ भी करने के लिये तयार रहता है| जब तक देश है तब तक हम है| देश नही तो हम भी नही| कहने का मतलब यह है की, सैनिक सिर्फ किसीको मारने का काम नही करता बल्की हालात को काबू करने का प्रयास करता है| किसी को बचाने के लिये वह हत्यार उठता है बल्की ना किसी को बलपूर्वक मारने के लिये|
आप सभी प्यारे मेरे देश वासियो मै एक सैनिक हु और एक सैनिक की भाती ही बोलुंगा जय हिंद |