Hindi, asked by pushpeshyadav644, 9 months ago

कुसंग का ज्वर भयानक होता है निबंध​

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Answered by anilnegi120774
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Answer:

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे किसी न किसी साथी कि आवश्यकता जरुर होती है परन्तु यह संगति ही उसके व्यक्तित्व निर्माण को प्रभावित करती है I

सत्संगति का महत्त्व : संगति का प्रभाव मनुष्य पर जरुर पड़ता है I जिस प्रकार स्वाति कि बूँद सीप के सम्पर्क में आने पर मोती, और सर्प के सम्पर्क में आने पर विष बन जाती है उसी प्रकार सत्संगति में रहकर मनुष्य का आत्मसंस्कार होता है जबकि बुरी संगति उसके पतन का कारण बनती है I अच्छी संगति में रहकर मनुष्य का चारित्रिक विकास होता है, उसकी बुद्धि परिष्कृत होती है और उसका मन शुद्ध होता है I बुरी संगति हमारे भीतर के दानव को जागृत करती है I

शुक्ल जी ने ठीक कहा है- ‘कुसंग का ज्वर बड़ा भयानक होता है’ I दुर्जन का साथ पग-पग पर हानि देता है, अपमान और अपयश देता है I हमें प्रयास करके सज्जनों का साथ प्राप्त करना चाहिए क्योंकि ‘शठ सुधरहिं सत्संगति पाये’ I अंगुलिमाल, वाल्मीकि जी जैसे अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं I विशेष रूप से विद्यार्थियों को सत्संगति का महत्त्व समझना चाहिए क्योंकि वे अपरिपक्व अवस्था में होते हैं और कच्ची मिटटी के समान उन्हें किसी भी रूप में ढाला जा सकता है I

जैसी संगति बैठिये तैसोई फल दीन

Answered by ramnathrawat587
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Answer:

'कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है।' यह सूक्तिपरक वाक्य आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी द्वारा लिखित उनके निबंध 'मित्रता' शीर्षक से लिया गया है।

इस सूक्तिपरक वाक्य का अर्थ है–

जिस प्रकार कोई व्यक्ति यदि घातक बुखार से ग्रसित हो जाए तो वह ज्वर उसके शरीर और स्वास्थ्य को नष्ट कर देता है तथा कभी-कभी प्राण भी ले लेता है। उसी प्रकार बुरी संगति भी हमारी नैतिकता, सदाचार, मन तथा बुद्धि को नष्ट कर देती है।

उदाहरण के लिए– मंथरा की संगति में रहने के कारण अत्यंत बुद्धिमान एवं विवेकशील कैकेई की बुद्धि भी खराब हो गई। कुसंग के प्रभाव के कारण ही उसे संसार में अपयश का भागी बनना पड़ा।

अतः हम किन लोगों के साथ रहते हैं, विचार- विमर्श करते हैं, एवं व्यवहार करते हैं, इसका हमें अवश्य ध्यान रखना चाहिए।

मित्रों का चयन बहुत सूझ-बूझ के साथ करना चाहिए। हमेशा अच्छे लोगों की ही संगति करनी चाहिए।

धन्यवाद।

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