Hindi, asked by avinash91pandey, 3 months ago

का सिंगार ओहि बरनौं राजा। ओहिक सिंगार ओहि पै छाजा। प्रथम सीस कस्तूरी केसा। बलि बासुकि को औरु नरेसा।। भँवर केस वह मालति रानी। बिसहर लुरहिं लेहिं अरघानी ।। बेनी छोरी झारु जौं बारा। सरग पतार होइ अंधियारा ।। कोंवर कुटिल केस नग कारे लहरन्हि भरे भुअंग बिसारे ।। बेधे जानु मलयगिरि बासा। सीस चढ़े लोटहिं चहुं पासा । घुंघुरवारि अलकैं विख भरीं। सिंकरी पेम चहहिं गियं परी |।
की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए​

Answers

Answered by nandha2401
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Explanation:

का सिंगार ओहि बरनौं, राजा । ओहिक सिंगार ओहि पै छाजा ॥

प्रथम सीस कस्तूरी केसा । बलि बासुकि, का और नरेसा ॥

भौंर केस, वह मालति रानी । बिसहर लुरे लेहिं अरघानी ॥

बेनी छोरि झार जौं बारा । सरग पतार होइ अँधियारा ॥

कोंपर कुटिल केस नग कारे । लहरन्हि भरे भुअंग बैसारे ॥

बेधे जनों मलयगिरि बासा । सीस चढे लोटहिं चहँ पासा ॥

घुँघरवार अलकै विषभरी । सँकरैं पेम चहैं गिउ परी ॥

अस फदवार केस वै परा सीस गिउ फाँद ।

अस्टौ कुरी नाग सब अरुझ केस के बाँद ॥1॥

बरनौं माँग सीस उपराहीं । सेंदुर अबहिं चढा जेहि नाहीं ॥

बिनु सेंदुर अस जानहु दीआ । उजियर पंथ रैनि महँ कीआ ॥

कंचन रेख कसौटी कसी । जनु घन महँ दामिनि परगसी ॥

सरु-किरिन जनु गगन बिसेखी । जमुना माँह सुरसती देखी ॥

खाँडै धार रुहिर नु भरा । करवत लेइ बेनी पर धरा ॥

तेहि पर पूरि धरे जो मोती । जमुना माँझ गंग कै सोती ॥

करवत तपा लेहिं होइ चूरू । मकु सो रुहिर लेइ देइ सेंदूरू ॥

कनक दुवासन बानि होइ चह सोहाग वह माँग ।

सेवा करहिं नखत सब उवै गगन जस गाँग ॥2॥

कहौं लिलार दुइज कै जोती । दुइजन जोति कहाँ जग ओती ॥

सहस किरिन जो सुरुज दिपाई । देखि लिलार सोउ छपि जाई ॥

का सरवर तेहि देउँ मयंकू । चाँद कलंकी, वह निकलंकू ॥

औ चाँदहि पुनि राहु गरासा । वह बिनु राहु सदा परगासा ॥

तेहि लिलार पर तलक बईठा । दुइज-पाट जानहु ध्रुव दीठा ॥

कनक-पाट जनु बैठा राजा । सबै सिंगार अत्र लेइ साजा ॥

ओहि आगे थिर रहा न कोऊ । दहुँ का कहँ अस जुरै सँजोगू ॥

खरग, धनुक, चक बान दुइ, जग-मारन तिन्ह नावँ ।

सुनि कै परा मुरुछि कै (राजा) मोकहँ हए कुठावँ ॥3॥

भौहैं स्याम धनुक जनु ताना । जा सहुँ हेर मार विष-बाना ॥

हनै धुनै उन्ह भौंहनि चढे । केइ हतियार काल अस गढे ?॥

उहै धनुक किरसुन पर अहा । उहै धनुक राघौ कर गहा ॥

ओहि धनुक रावन संघारा । ओहि धनुक कंसासुर मारा ॥

ओहि धनुक बैधा हुत राहू । मारा ओहि सहस्राबाहू ॥

उहै धनुक मैं थापहँ चीन्हा । धानुक आप बेझ जग कीन्हा ॥

उन्ह भौंहनि सरि केउ न जीता । अछरी छपीं, छपीं गोपीता ॥

Answered by mvishal2310
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