कुसंग से बचने के लिए माता जी का बेटा या बेटी को पत्र
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कुसंगति से बचने के लिए माता जी का बेटा या बेटी को पत्र :
भाटिया निवास ,
हाउस नंबर 22/3
न्यू शिमला |
प्रिय बेटा सुमित ,
प्रिय बेटा , आशा करती हूँ तुम छात्रावास में सुरक्षित होगे | तुम्हारा मन भी लग गया होगा | बेटा पत्र में मैं तुम्हें कुसंगति से बचने के लिए समझाना चाहती हूँ | कुसंगति एक संक्रामक रोग की भाँति हैं। जब यह रोग किसी को लग जाता हैं, तो वह बड़ी कठिनाई से ही उससे मुक्त हो पाता हैं। तुम्हें अधिक से अधिक परिश्रम करना है तथा भविष्य में अपने मित्रों का चयन भी काफी समझदारी से करना होगा ।
कुसंगति से दूर रहना है। कुसंगति में पड़ कर अपने जीवन को बर्बाद कर देते हैं। जिस प्रकार एक गंदी मछली तालाब के सारे पानी को गंदा कर देती है वैसे ही एक गंदा मित्र जीवन की दिशा ही बदल देता है। अतः इससे बचने का प्रयास करना । हमेशा अच्छी संगति में रहना है| जीवन में अनुशासन के साथ रहना | आशा करती हूँ कि तुम मेरी बातों पर ध्यान दोगे |
तुम्हारी माँ |