किसी गांव में अकाल ------- दयालु जमींदार---- द्वारा रोज लोगों को रोटियाॅं बाॅंटना ------- एक बालिका का छोटी रोटी लेना --------- घर जाना रोटी तोड़ना----- रोटी में सोने का सिक्का निकलना --------लड़की का जमींदार के पास जाना------ सोने का सिक्का लौटाना------ आना इनाम पाना-------- शिक्षा।
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बच्ची अगले दिन रोटी लेने गई और उस धनि व्यक्ति को सिक्का लौटकर बोली -'' मुझे रोटी में यह सोने का सिक्का मिला है शायद रोटी बनाते समय आंटे में गिर गया होगा इसी कारण मैं इस सोने के सिक्के को लौटने आई हूँ |''
उस नन्ही सी बच्ची की बातें सुनकर वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और सोने का सिक्का बच्ची को वापस कर बोला-बेटी , यह सोने का सिक्का तुम्हारे धेर्य और संतोष का ईनाम है |''
बच्ची बोली- '' मुझे रोटी लेने के लिये धक्के नहीं खाने पड़े यही मेरे लिये ईनाम है मैं इसी में खुश हूँ |''
दरअसल उस धनवान व्यक्ति ने जानबूझ का उस रोटी में सोने का सिक्का डाला था | बच्ची की ईमानदारी देखकर उसने बच्ची को अपनी पुत्री के समान दर्जा दिया |
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