कुसंगति से दूर रहने के लिए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।
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छोटे भाई को कुसंगति से बचने के लिए पत्र
बी 3/14.
इंदिरापुरम
गाज़ियाबाद
प्रिय भाई सतीश ,
तुम्हारा पत्र मिला। जानकार प्रसन्नता हुई की तुम आंठवी कक्षा की परीक्षा में प्रथानश्रेणी से पास हो गए हो। इसके लिए तुम्हे हार्दिक बधाइयां देता हूँ और आशा करता हूँ की भविष्य में भी तुम इसी प्रकार सभी परीक्षाओं में सफल होते रहोगे। ...
दिनांक 25/08 /2017.
तुम्हारा प्रिय भाई आनंद
भोपाल (मध्य प्रदेश)
दिनांक: 6-8-2016
प्रियवर मोहित,
प्रसन्न रहो।
कल तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुम परिक्ष की तैयारी में पूरी लगन के साथ जुटे हुए हो। परिवार के सभी सदस्य यही चाहते है कि तुम मेहनत करो और अच्छे अंक प्राप्त करो। पढ़ाई करना ही विद्यार्थी का मुख्य धर्म होता है। जो शिक्षार्थी पढ़ने-लिखने में ध्यान नहीं देते हैं, उनका जीवन असफलताओं के साँचे में ढल जाता है। मुझे पूरा विश्वास है कि तुम ऐसे छात्रों की संगति से हमेशा दूर ही रहोगे, जो अध्ययन से उदासीन रहते हैं।
बंधु! यह मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि तुम कत्र्तव्यनिष्ठ हो। फिर भी मैं तुम्हारा ध्यान कुसंगति के कुप्रभाव की ओर आकृष्ट कर रहा हूँ। कुसंगति एक संक्रामक रोग की तरह ही होती है। जिस तरह से विषम ज्वर जल्दी नहीं छूटता, उसी तरह से कुसंगति का प्रभाव भी जल्दी से दूर नहीं हो पाता है। वास्तव में कुसंगति ऐसी ही बुरी, घृणित और विषयजनक होती है। बड़े-बड़े महापुरूष भी कुसंगति में पड़ कर अपने जीवन को बर्बाद करते देखे जाते हैं। अतः इससे दूर रहने का ही प्रयास करने चाहिए। अनुज! मुझे तुम पर पूर्ण विश्वास है। तुम हमेशा खुद को कुसंगति से बचाने के प्रयास करते रहोगे। सदिच्छा के लिए तुम्हारी दृढ़ता और बुराइयों से बचने के लिए तुम्हारा साहस ही तुम्हें सफल बनायेगा।
तुम्हारे पत्र की प्रतिक्षा में,
तुम्हारा अग्रज
सुशील