किस घटना ने ध्रुव को ध्रुवभक्त बना दिया?
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माता की सीख पर अमल करने का कठोर व्रत लेकर ध्रुव ने पांच वर्ष की आयु में ही राजमहल त्याग दिया और एक पैर पर खड़े होकर छह माह तक कठोर तप किया। बालक की तपस्या देख भगवान ने दर्शन देकर उसे उच्चतम पद प्राप्त करने का वरदान दिया। इसी के बाद बालक ध्रुव की याद में सर्वाधिक चमकने वाले तारे को नाम ध्रुवतारा दिया गया।
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माता की सिख पर अमल करने का कठोर व्रत लेकर ध्रुव ने 5 वर्ष की आयु मे राजमहल त्याग दिया और एक पैर पण खडे होकर 6 महिने तक कठोर तप किया । बालक की तपस्या देख भगवानने उसे अपने दर्शन देकर उसे उच्चतम पद प्राप्त करने का वरदान दिया ।
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