Hindi, asked by sharmamohit64255, 6 months ago

कैसी हो शिक्षा write 100-150words​

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Answered by MRVarsha
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शिक्षा सभी के जीवन में, व्यक्तित्व का निर्माण, ज्ञान और कौशल में सुधार करके, एक सभ्य मनुष्य बनाने में महान भूमिका निभाती है। ... शिक्षा एक व्यक्ति के जीवन में लक्ष्य को निश्चित करने के द्वारा उसके वर्तमान और भविष्य को पोषित करती है। शिक्षा के महत्व और इसकी गुणवत्ता में दिन प्रति दिन सुधार व वृद्धि हो रही है।

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Answered by ms8367786
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Answer:

शिक्षा कैसी हो, इसका विचार एवं कृत्य आवश्यक है । भारत में जो जो क्रांतिकारी हुए हैं, जो संत हुए हैं, जो देशभक्त स्वतंत्रता के लिए लडे एवं हुतात्मा हुए, जो शास्त्रज्ञ हुए, जो समाज की उन्नति के लिए ही जीए, जिन्होंने समाज के उत्थान हेतु संगठन निर्माण करने में अपना जीवन समर्पित किया, उन सभी का संपूर्ण चरित्र इस युवा पीढी को, छोटे बच्चों को अभ्यास के लिए होना ही चाहिए । बच्चों को अनिवार्यत: २ वर्ष सैन्य प्रशिक्षण दिया जाए । संत ज्ञानेश्‍वर, संत तुकाराम, समर्थ रामदास इनके ग्रंथ विद्यार्थियों को अभ्यास हेतु रखें जाएं । क्रांतिकारी भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, वासुदेव बलवंत फडके, चाफेकर एवं वीर सावरकर इन सभी की कथाएं युवाओं को ज्ञात हो ।

जीवन कैसे शुद्ध आचरण का, प्रामाणिक, पारदर्शी तथा कष्ट एवं मेहनत करनेवाला तथा देशभक्तिपूर्ण हो ? देश के लिए जीने एवं मरने की प्रेरणा हो, ऐसी ही शिक्षा हो, तभी देश वैभवशाली होगा । – श्री. अनिल कांबले (मासिक लोकजागर, अमरनाथ यात्रा विशेषांक २००८)

उच्चशिक्षित होने की अपेक्षा सुसंस्कारों की शिक्षा महत्वपूर्ण

वर्तमान बच्चों एवं युवाओं को पंचतंत्र, इसापनीति, रामायण, महाभारत, छत्रपति शिवाजी महाराज एवं क्रांतिकीरों की कथाएं ज्ञात नहीं होती; क्योंकि उनके पालकों ने उन्हें वे नहीं बताई हैं । हैरी पाॅटर पढकर सुसंस्कारित पीढी निर्मित नहीं होगी । स्वराज्य मिलने के पिछले ६० वर्षों में हम सुसंस्कारी पीढी का निर्माण ही नहीं कर सके, यह लज्जास्पद बात है । उच्चशिक्षित होना अलग एवं संस्कारित होना अलग है ! – डॉ. सच्चिदानंद शेवडे (श्रीगजानन आशिष, मार्च २०११)

मूल्यशिक्षा

आज का युवा विद्यार्थी विनाशकारी (destructive) हो गया है । उसे उन दुष्प्रवृत्तियों से परावृत्त करने के लिए विश्‍वभर में शिक्षाविदों ने मूल्यशिक्षापर (value education) अधिष्ठित अभ्यासक्रम बताया है । मूल्यशिक्षा के कारण उसमें विद्यमान असुरी प्रवृत्तियों का नाश होकर वह आदर्श नागरिक होगा, ऐसा इन शिक्षाशास्त्रज्ञों का दावा है ।

चरित्रनिर्मिति की शिक्षा

जीवननिर्मिति, मानवनिर्मिति, शील तथा चरित्र की निर्मिति एवं विचारों की एकरूपता इन पांच बातों की शिक्षा मिलने से तथा उनका पालन करने से मनुष्य आदर्श होगा ! वर्तमान शिक्षा अर्थात आपके मस्तिष्क में भरी गई केवल जानकारी । इस मस्तिष्क में भरी गई जानकारी को ठीक से न समझ पाने के कारण संपूर्ण जीवन हम उलझे रहते हैं । हमें जीवननिर्मिति, मानवनिर्मिति, शील एवं चरित्र की निर्मिति करनेवाली एवं विचार एकरूप करनेवाली शिक्षा चाहिए । आप केवल यह पांच विचार समझकर अपने जीवन में उनका पालन करें, तो आप संपूर्ण ग्रंथालय मुखोगत व्यक्ति से भी अधिक शिक्षित होंगे । यह शिक्षा राष्ट्र के आदर्शों को ध्यान में रखकर होगी एवं संभवत: वह प्रायोगिक होगी । – श्री. राजाभाऊ जोशी (मासिक लोकजागर, दिवाली विशेषांक २००८)

चरित्रसंपन्न युवा पीढी निर्माण होनेके लिए सत्य, प्रामाणिकता युक्त एवं पारदर्शी व्यवहारवाली शिक्षा युवा पीढी को प्राप्त हो, तो ही वह पीढी सुधरेगी एवं देश वैभवशाली होगा । आज देश में आतंकवाद, भ्रष्टाचार, महंगाई, जनसंख्या विस्फोट, बेरोजगारी एवं पानी की कमी जैसे प्रश्‍न कल अराजकता निर्माण करेंगे । उसके लिए चरित्र निर्माण करनेवाली शिक्षा यही उत्तर है । – श्री. मनोहर जोशी (लोकजागर, ख्रिस्ताब्द २०११)

धर्मशिक्षा

नैतिक मूल्यों की रक्षा होना, इस हेतु केवल ऊपरी उपाय-नियोजन उपयोगी नहीं हैं । इस हेतु सभी को धर्मशिक्षा देना आवश्यक है । धर्मपालन से समाज के सत्वगुण में वृद्धि होती है । उससे नैतिक मूल्यों की रक्षा करने का आत्मबल मिलता है । यह आत्मबल ही आज की शिक्षाप्रणाली नहीं दे सकती । समाज का सत्वगुण बढने से सभी क्षेत्रों में हो रहे अधःपतन को रोकना संभव होगा ।

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