कैसे हो श्रेष्ठ मानव का निर्माण पर निबंध लिखे। word limit -350 to 600
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कैसे हो श्रेष्ठ मानव का निर्माण
श्रेष्ठ मानव बनने के लिए जीवन में श्रेष्ठ गुणों को अपनाना अति आवश्यक है तभी श्रेष्ठ मानव बना जा सकता है। ये श्रेष्ठ गुण हैं सदाचार, प्रेम, दया, विनम्रता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, सत्यनिष्ठा, परिश्रमी और संवेदनशीलता।
सदाचार का मतलब हमारा आचरण शुद्ध हो और हम नैतिक मूल्यों का पालन करते हुये शुद्ध और सात्विक आचरण करें।
श्रेष्ठ मानव बनने के लिए व्यक्ति के मन में प्रेम और दया होनी अत्यंत आवश्यक है। व्यक्ति के मन में अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम हो। जिस धरा पर उसने जन्म लिया हो उसके प्रति प्रेम श्रेष्ठता का गुण है। अपने समाज के प्रति प्रेम हो अपने प्रियजनों और सृष्टि के हर प्राणी और वस्तु के प्रति प्रेम हो। उसके हृदय में कमजोरों, असहायों, निर्धनों, अशक्तों और दुखियों के प्रति दया हो।
विनम्र स्वभाव का होना एक श्रेष्ठ मानव बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। जो व्यक्ति जितना विनम्र वो उतना ही शांत चित्त भी होगा। विनम्रता और शांत चित्त वाला व्यक्ति सबके दिल को जीत लेता है। जो सबके दिल को जीत लेता है वही तो श्रेष्ठ मानव है। विनम्रता और शांति स्वभाव को अपनाकर कठिन से कठिन परिस्थिति का बड़ी सरलता से सामना किया जा सकता है और जो कठिन परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करते हैं वो ही श्रेष्ठ मानव बनते हैं।
व्यक्ति का ईमानदार होना भी श्रेष्ठता की एक पहचान है। चाहे वह ईमानदारी राष्ट्र के प्रति हो, अपने समाज के प्रति हो, अपने कर्तव्य के प्रति हो या अपने प्रियजनों के प्रति हो। व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलने वाला हो और झूठ नही बोलता हो।
व्यक्ति का संवेदनशील होना भी श्रेष्ठ मानव होने की एक महत्वपूर्ण कसौटी है। जिस व्यक्ति के अंदर संवेदना नहीं है तो उस व्यक्ति के अंदर प्रेम और दया नहीं है और जिसके अंदर प्रेम और दया नहीं है तो वह श्रेष्ठ मानव कभी नहीं बन सकता। किसी रोते हुए व्यक्ति के आंसू पोंछ देना और उसके दुख में सहभागी बनने से श्रेष्ठ कार्य कोई नही है। जो दूसरे के दुख अपना दुख समझे वो समझो श्रेष्ठ मानव बन गया।
कुसंगत व कुवृत्तियों से दूर रहें। जीवन में सकारात्मकता बनायें रखें, नकारात्मकता को न हावी होने दें। सुख व दुख में समान भाव से रहें।