कैसी hasi को लेखक ने राक्षसों की हंसी कहां है
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¿ कैसी हँसी को लेखक ने राक्षसों की हँसी कहा है ?
✎... लेखक ने ईर्ष्यालु व्यक्ति द्वारा किसी की निंदा करती हुई हँसी को राक्षस की हँसी कहा है। लेखक के अनुसार निंदा के बाण से अपने प्रतिद्वंदियों को बेधक हँसने में निंदक को एक विशेष प्रकार का आनंद आता है। लेखक ने निंदक की इस हँसी को राक्षस की हँसी कहा है, क्योंकि दूसरों को सताकर आनंद लेना राक्षसों के जैसा कार्य है और एक निंदक व्यक्ति भी किसी का निंदा करके इसी तरह का आनंद लेता है।
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