Hindi, asked by guri3079, 11 months ago

किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं।
हमारी जन्मभूमि थी यही, कहीं से हम आए थे नहीं।
जातियों का उत्थान-पतन, आँधियाँ, झड़ीं, प्रचंड समीर।
खड़े देखा, झेला हँसते, प्रलय में पले हुए हम वीर।
चरित के पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न।
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव।
वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव।
वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान।
वही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य संतान।
जिएँ तो सदा उसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष।
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष।
प्रश्न |
1. 'हमारी जन्मभूमि थी यही'-कवि ने यह किसलिए कहा है ?
2. भारत के वीरों की क्या विशेषता रही है ?
3. हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव'–पंक्ति का क्या आशय है।
4. उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवि ने क्या प्रेरणा दी है ?
5. उपर्युक्त पद्यांश से दो विशेषण छाँटकर लिखिए।

Answers

Answered by Roseliya
4

What is the question?

please give proper information


Roseliya: I think it is unscramble
Roseliya: arrange the sentences in proper order
guri3079: find answers of the questions
guri3079: from this given passage
Answered by ATHRAVMDUBE
2

Answer:

THAT IS RIGHT ANSWER .

ये उत्तर सही है

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