Chemistry, asked by sunepla9098, 10 months ago

किसी कार्बनिक यौगिक में लैंसे-परीक्षण द्वारा नाइट्रोजन की जाँच में प्रशियन ब्लू रंग निम्नलिखित में से किसके कारण प्राप्त होता है?
(क) Na_4[Fe(CN)_6]

(ख) Fe_4[Fe(CN)_6]_3

(ग) Fe_2[Fe(CN)_6]

(घ) Fe_3[Fe(CN)_6]_4

Answers

Answered by Davinderdev53
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Explanation:

हमारा उद्देश्य

हमारा उद्देश्य लैसेन परीक्षण के माध्यम से कार्बनिक यौगिकों में नाइट्रोजन, सल्फर, क्लोरीन, ब्रोमीन और आयोडीन की उपस्थिति का पता लगाना है।

सिद्धांत

कार्बन सभी कार्बनिक यौगिकों का मुख्य घटक तत्व है। हाइड्रोजन भी अधिकांश कार्बनिक यौगिकों में मौजूद रहती है, लेकिन इसके कुछ अपवाद भी हैं, जैसे: CCl4, CS2, आदि। नाइट्रोजन, सल्फर और हैलोजन (क्लोरीन, ब्रोमीन और आयोडीन) जैसे इन तत्वों से भिन्न अन्य तत्व भी कार्बनिक यौगिकों में मौजूद हो सकते है। आमतौर पर लैसेन परीक्षण के माध्यम से इन अतिरिक्त तत्वों का पता लगाया जाता है। इसका विकास फ्रांसीसी रसायनज्ञ जे.एल. लैसेन ने किया था। इस परीक्षण में, इन तत्वों को पानी में घुलनशील सोडियम लवण में परिवर्तित करने के लिए, कार्बनिक यौगिक का धात्विक सोडियम के साथ संलयन किया जाता है । संबंधित तत्वों का पता लगाने के लिए सामान्य् गुणात्मक परीक्षण इसी अर्क पर किए जाते हैं।

नाइट्रोजन की जांच

यदि नाइट्रोजन यौगिक में मौजूद है, तो संलयन के दौरान बनने वाली सोडियम साइनाइड लैसेन अर्क में मौजूद होगी। फेरस सल्फेट से उपचारित करने पर सोडियम साइनाइड सोडियम फेरोसाइनाइड में बदल जाता है। आगे फेरिक क्लोराइड से इसे उपचारित करने पर, प्रशियाई नीला मिश्रण, फेरिकफेरोसाइनाइड बनता है।

सल्फर की जांच

1. सोडियम नाइट्रोप्रूसाइड परीक्षण

लैसेन अर्क की तैयारी के दौरान, कार्बनिक यौगिक की सल्फर, सोडियम के साथ अभिक्रिया करती है जिससे सोडियम सल्फाइड का निर्माण होता है। सोडियम थायोनाइट्रोप्रूसाइड के निर्माण के कारण यह सोडियम नाइट्रोप्रूसाइड के साथ बैंगनी रंग देता है।

2. लेड एसीटेट परीक्षण

लैसेन अर्क की तैयारी के दौरान बनने वाला सोडियम सल्फाइड लेड एसीटेट के साथ अभिक्रिया करता है जिससे काले तलछट के रूप में लेड सल्फाइड उत्पडन्न होता है।

हैलोजन की जांच

1. सिल्वर नाइट्रेट परीक्षण

ए. क्लोरीन

लैसेन अर्क की तैयारी के दौरान, कार्बनिक यौगिक की क्लोरीन सोडियम के साथ अभिक्रिया करती है जिससे सोडियम क्लोराइड का निर्माण होता है। सोडियम क्लोराइड सिल्वर नाइट्रेट के विलयन के साथ सिल्वर क्लोराइड का सफेद तलछट देती है। यह तलछट अमोनियम हाइड्रॉक्साइड में घुलनशील होता है।

बी. ब्रोमिन

लैसेन अर्क की तैयारी के दौरान बनने वाला सोडियम ब्रोमाइड सिल्वर नाइट्रेट के साथ अभिक्रिया करता है जिससे सिल्वर ब्रोमाइड के हल्के पीले तलछट का निर्माण होता है। जो अमोनियम हाइड्रॉक्साइड में अपर्याप्त रूप से कम घुलनशील होता है l

सी. आयोडीन

सोडियम संलयन के अर्क की तैयारी के दौरान बनने वाला सोडियम आयोडाइड सिल्वर नाइट्रेट के विलयन के साथ अभिक्रिया करता है जिससे अमोनियम हाइड्रॉक्साइड में अघुलनशील सिल्वर आयोडाइड के पीले तलछट का निर्माण होता है

2. कार्बन डाइसल्फाइड परीक्षण

जब लैसेन अर्क में सोडियम ब्रोमाइड और सोडियम आयोडाइड को क्लोरीन के पानी से उपचारित किया जाता है, तो, ब्रोमाइड और आयोडाइड संगत हैलोजन में आक्सीरकृत हो जाते हैं। यह हैलोजन कार्बन डाइसल्फाइड में घुल जाती है। कार्बन डाइसल्फाइड परत में ब्रोमीन नारंगी रंग लाता है और आयोडीन बैंगनी रंग लाता है।

Answered by Anonymous
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किसी कार्बनिक यौगिक में लेंसे परीक्षण द्वारा नाइट्रोजन के जांच में प्रशियन ब्लू रंग निम्नलिखित में

(ख) Fe₄[Fe(CN)₆I₃ के कारण प्राप्त होता है।

•सोडियम संगलक निष्कर्ष को आयरन (II) सल्फेट के साथ उबालकर विलयन को सलफुरिक अम्ल द्वारा अमलोकृत किया जाता है। प्रशीयन ब्लू रंग बनना नाइट्रोजन की उपस्थिति दर्शाता है।

•सोडियम सायनाइड आयरन (II) सल्फेट के साथ अभिक्रिया करके सोडियम हेक्सा सायनेट बनाता है। सांद्र सलफूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर कुछ आयरन ii, आयरन iii में ऑक्सीकृत हो जाता है।

• यह सोडियम हेक्सासायनीडोफेरेट के साथ अभिक्रिया करके आयरन iii हेक्सासायनीडोफेरेट ii बनाता है रंग प्रशियन ब्लू होता है।

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