किस। कारणवस सावन एवं भादो के महीने में अधिक वर्षा होती है ?
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Answers
यह तथ्य है कि कृषि प्रधान देश भारत गाँवों में बसता है, जहां लोगों का मुख्य धंधा खेतीबाड़ी करना है। जैसा कि उल्लेख किया जा चुका है, कहावतों का अधिक प्रचलन गाँवों में है। इसलिए स्वाभाविक है कि कृषि संबंधी ऐसी अधिक कहावतें कही जाती हैं जिनका संदर्भ वर्षा अथवा सूखा से होता है। ऐसी अधिकांश कहावतें घाघ और भड्डरी के नाम से कही गई है। कई इलाकों में सिंचाई सुविधाओं के अभाव से वर्षा का महत्व अधिक बढ़ जाता है। सामान्यतः अब भी अपने देश में कृषि वर्षा पर विशेषकर मानसूनी वर्षा पर निर्भर है। अतएव कृषि संबंधी अनेक कहावतें वर्षा होने या न होने का संकेत देती है। वर्षा के संबंध में ऐसी कहावतों का कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है, किंतु युगों-युगों से चली आ रही ऐसी परंपरागत कहावतों में अनुभव और बुद्धि का पुट है जिसकी वजह से आज के ग्रामवासी किसानों का इन पर अटूट विश्वास है।
Answer:
प्राचीन कहावत है कि भादो सावन से दूबर नहीं है और यह कहावत इस बार फिर सही साबित होने वाली है। मौसम वैज्ञानिक की माने तो सावन में अच्छी बारिश हुई है और भादो में भी झमाझम बारिश होगी। जिस साल बारिश अच्छी होती है तो उस साल ठंड भी ठीक पड़ती है। वर्ष 2013 में अच्छी बारिश होने से गंगा का पानी सड़क पर आया था और इस बार वर्ष 2016 में फिर गंगा का पानी सड़क तक पहुंच गया है जिसमे लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
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