किस काव्य पंक्ति में श्लेष अलंकार नहीं ह
जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं |
सुबरन को ढूँढत फिरत कवि व्यभिचारी चोर |
मधुबन की छाती को देखो सूखी कितनी इसकी कलियाँ |
नवजीवन दो घनश्याम ! हमें |
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जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं |
सुबरन को ढूँढत फिरत कवि व्यभिचारी चोर |
मधुबन की छाती को देखो सूखी कितनी इसकी कलियाँ |
- नवजीवन दो घनश्याम ! हमें |
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