Hindi, asked by jkjackal6128, 11 months ago

किसी महापुरुष की जीवनी लिखकर

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Answered by aman234586
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Hey , here is ur answer -

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महात्मा गाँधी

'महात्मा गाँधी' का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 में पोरबंदर में हुआ था। मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। वहां से लौटने पर उन्होंने वकालत प्रारंभ की।

'महात्मा गाँधी' का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 में पोरबंदर में हुआ था। मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। वहां से लौटने पर उन्होंने वकालत प्रारंभ की।गांधीजी का सार्वजानिक जीवन दक्षिण अफ्रीका में प्रारंभ हुआ। उन्होंने देखा की भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। उन्होंने भारतीयों की सहायता की। उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन प्रारंभ किया। उन्होंने अनेक कष्ट सहे। उनको अपमानित किया गया। अंत में उन्हें सफलता मिली।

'महात्मा गाँधी' का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 में पोरबंदर में हुआ था। मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। वहां से लौटने पर उन्होंने वकालत प्रारंभ की।गांधीजी का सार्वजानिक जीवन दक्षिण अफ्रीका में प्रारंभ हुआ। उन्होंने देखा की भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। उन्होंने भारतीयों की सहायता की। उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन प्रारंभ किया। उन्होंने अनेक कष्ट सहे। उनको अपमानित किया गया। अंत में उन्हें सफलता मिली।गांधीजी वापस भारत आये और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। वह कई बार जेल गए। अब सारा देश उनके साथ था। लोग उन्हें राष्ट्रपिता कहने लगे। अंत में भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

'महात्मा गाँधी' का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 में पोरबंदर में हुआ था। मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। वहां से लौटने पर उन्होंने वकालत प्रारंभ की।गांधीजी का सार्वजानिक जीवन दक्षिण अफ्रीका में प्रारंभ हुआ। उन्होंने देखा की भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। उन्होंने भारतीयों की सहायता की। उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन प्रारंभ किया। उन्होंने अनेक कष्ट सहे। उनको अपमानित किया गया। अंत में उन्हें सफलता मिली।गांधीजी वापस भारत आये और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। वह कई बार जेल गए। अब सारा देश उनके साथ था। लोग उन्हें राष्ट्रपिता कहने लगे। अंत में भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।गांधीजी सादा जीवन बिताते थे। उन्होंने हमको अहिंसा का पाठ पढाया। वह एक समाजसुधारक थे। उन्होंने छुआ-छूत को दूर करने का प्रत्यन किया। 30 जनवरी, 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गयी

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