किसान की आत्मकथा के ऊपर निबंध
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Explanation:
Ek Kisan Ki Atmakatha Nibandh | Autobiography of a Farmer in Hindi
प्रस्तावना- किसान दुनियाभर का अन्नदाता है जो कोई व्यापारी नही, भारत की अर्थव्यवस्था में किसानों की ज्यादा हिस्सेदारी तो नही है, लेकिन किसानों के बिना भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया का कोई अस्तित्व नही है। मैं एक किसान हु और मै जानता हूं कि कैसे एक किसान देश की वो पटरियां हैं जो देश को प्रगति के रास्ते से जोड़ती हैं।
लोग कहते हैं जैसे दुनिया के तमाम व्यवसाय हैं वैसे ही खेती किसान का व्यवसाय है,लेकिन लोगों को क्या पता किसान की आत्मकथा के बारे में, लोग कहते हैं कि किसान उन्हें अनाज देता है और उसके बदले उनसे पैसा लेता है बस हिसाब बराबर। लेकिन हिसाब अभी कहाँ बराबर हुआ आपने जितना पैसा दिया उतना पैसा तो मैंने भी लगाया था कभी खाद, कभी बीज, कभी जुताई तो कभी सिंचाई, ऐसे जाने कितने खर्चे लेकिन इन सबके बाद जो मैंने पसीना बहाया उसका हिसाब कहाँ है, जब दुनिया आराम से अपने घरों में सुबह सो रही होती हैं तब मै सुबह उठकर पानी लगा रहा था अपने खेतों में।
पूरी दुनिया की भूख मुझसे ही खत्म होती है। अक्सर मैं राजनीति के बीच का मुद्दा भी बनता रहता हूँ, फिर चाहे सत्तापक्ष हो चाहे विपक्ष, सबने मुझे तरह-तरह के लालच दिए लेकिन मेरे ही वोट से जीतने के बाद लौटकर मेरे बारे में कभी नही सोंचा। मैं सिर्फ दुनिया के हाथों की मशाल बनकर जला हूँ। जहाँ लोगों को मुझसे रौशनी, जिंदगी जीने की उम्मीदें मिली हैं और मुझे मिली है सिरफ़ काली राख। मुझे भी धूप में धूप लगती है, मेरे बाजुओं में भी बस उतनी ही ताकत है जितना की एक आम इंसान के बाजुओं में होती हैं।
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