(क) सुनत बात मुसकाइन मोहन।
हम फोकट कहवैया नोहन।
केश जांघ कहरव हैं मोती।
कहौं बंचिहौ कोनो कोती।
कंवल बरोबर हाथ देखाथे।
छाती हंडुला सोन लजाथे।
बोड़री समुंद हवै पंडुकी गर।
कुंदरू ओठ दांत दरभी-धर।।
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दानलीला / भाग - 4 / सुंदरलाल शर्मा
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यह छत्तीसगढ़ के प्रसिध्द साहित्यकार सुंदरलाल शर्मा जी की रचना "दानलीला" (खंडकाव्य) (भाग-4) का अंश है|
भगवान श्री कृष्ण जी पर आधारित छत्तीसगढ़ी भाषा में रचित खंडकाव्य|
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mil gya but qut. hi mila
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iska ans. ky hoga
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