Hindi, asked by Anonymous, 1 year ago

किसी पालतू प्राणी कि आत्मकथा लिखिए

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Answered by Courageous
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Thanks for asking the question. Here is your answer:

मैं शुद्ध सफेद नर घोड़ा हूँ। लोग मुझे कॉल्ट कहते हैं। मुझे अपनी तलाश के बारे में कोई अहंकार नहीं है। मैं 28-38 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकता हूं। मैं लोगों को ले जाता हूं और गाड़ियां खींचता हूं। कई बार मैं अपने खेतों की जुताई में लोगों की मदद करता हूं। मैं स्वाभाविक रूप से सुंदर और मजबूत हूं। मुझे गाजर, सेब और केला खाना पसंद है। मेरे दांत करीब घास काटने के लिए अनुकूलित हैं, और पैर तेजी से चलने के लिए।

Answered by MdAltamash21
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Answer:

मैं इस धरती का ऐसा जीव हूं जो समस्त दुनिया में विभिन्न प्रजातियों में पाया जाता है । इस धरती के सर्वाधिक वफादार प्राणियों में से मैं एक हूं । जब भी कर्तव्यनिष्ठा, सजगता, ईमानदारी व स्वामीभक्ति की मिसाल दी जाती है, तब मुझे ने ही याद किया जाता है ।

इस बात का मुझे बड़ा गर्व है । मैं एक ऐसा पालतू जानवर हूं, जिसे लोग अपने घरों में रखना पसंद करते हैं । अपने घर की सुरक्षा का समस्त भार मुझ पर डालकर वे बड़ी निश्चिन्तता के साथ अपने काम पर निकल जाते हैं; क्योंकि मैं हमेशा चौकन्ना रहता हूं ।

जरा-सी आहट पाकर मेरे कान खड़े हो जाते हैं । मेरे इस रूप को देखकर बुरी व नीच प्रवृत्ति रखने वाले भाग खड़े होते हैं । वैसे मैं लोगों की शक्ल तथा व्यवहार देखकर उनकी सज्जनता का गुणा-भाग कर लेता हूं । मेरी घ्राणशक्ति इतनी तेज होती है कि मैं एक बार में उनकी गन्ध को स्मरण रखकर किसी को भी पहचान जाता हूं

मेरी महत्ता व विशेषताएं जानकर ही पुलिस विभाग हमें अपने साथ रखता है । चोरों से लेकर नशीली वस्तुओं का कारोबार करने वालों की धर-पकड़ में मेरा ही सहयोग लेता है । जो काम मनुष्य के बस के बाहर रकख्सा होता। है, वह मैं कर लेता हूं ।

मैं अपने मालिक के प्रति हमेशा वफादार एक बार जिसने मुझे खिला दिया, उसके प्रति वृातइाता ज्ञापित करना मैं नहीं भूलता हूं । पूंछ हिलाना इसी का रूप है । मैं हमेशा अपने मालिक का आज्ञाकारी सेवक बना रहना चाहता हूं ।

अत: जो मिले, जैसा मिले, उसी को खाकर सन्तुष्ट रहता हूं । कुछ मालिक मुझे सम्मानपूर्वक अच्छा भोजन देते हैं, तो कुछ असम्मानजनक व्यवहार के साथ । मैं इसे भी अपने मालिक की आइघ मानकर स्वीकार कर लेता हूं ।

विदेशों में मुझे बेहद प्यार और सम्मान के साथ देखा जाता है । वहां के मालिक मेरी प्रत्येक सुख-सुविधा का ख्याल रखते हैं । मैं भी विदेशों में खेतों, पशुपालन, घर के अन्य कामों तथा अपने मालिक के स्वास्थ्य का ध्यान रखता हूं ।

मैं बड़े सरल हृदय वाला प्राणी हूं । किसी के प्रति तनिक भी राग-द्वेष नहीं रखता । मुझे विवश किया जाता है, तो मैं अपना उग्र रूप दिखाता हूं । मैं तो हमेशा से मानव-जाति का मित्र तथा हितैषी बना रहना चाहता हूं ।

अपने पिल्लों को भी हमेशा से मैं यही सीख देता आया हूं कि वे किसी भी परिस्थिति में अपने मालिक के साथीदार बने रहें । यद्यपि मेरा जीवनकाल लम्बा नहीं होता, तथापि मैं अपने इस जीवनकाल में अपने मालिक का हित ही चाहूंगा ।

भारत जैसे देश में मेरा महत्त्व पौराणिक आख्यानों में मिलता है । मैं वहां सम्मान और उपेक्षा दोनों ही पाता हूं । मुझे अपने अपमान व उपेक्षा पर दु:ख अवश्य होता है, किन्तु मैं उसे भूल जाता हूं । हमें संस्कार ही कुछ ऐसे मिले हैं । अपने गुणों-त्याग, सहनशीलता, स्वामीभक्ति, नम्रता को मैं कभी नहीं छोड़ सकता । मेरी पहचान मेरे इन्हीं गुणों से है ।

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