किस प्रकार का व्यवहार उचित होगा जब हम ट्रेन में होंगे
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santi purvak vavhar achit hoga
व्यवहार की श्रेणी में यों तो बहुत सी बातें आ जाती है पर आज इस लेख में हमारा तात्पर्य केवल बोल चाल, आव भगत से है। जब तक दूसरों के व्यवहार करने की कला को आप नहीं सीख लेते तब तक काम चलाऊ पन से आगे नहीं बढ़ सकते।
भलमनसाहत सद्व्यवहार की जड़ में बन्धुत्व, आत्मीयता, प्रेम, दूसरों का हित चिन्तन और निस्वार्थ भावनाऐं होनी चाहिए। दूसरों को अपना समझकर उनके हित का ध्यान रखते हुए उदारता पूर्वक जो बर्ताव किया जाता है वही उत्तम व्यवहार है। यदि आप दूसरों को अपना बनाना चाहते हैं, दूसरों से ऐसा व्यवहार कराना चाहते हैं जिसे आप अपने लिए पसन्द करें तो स्मरण रखिये, आपको यह कला सीखनी पड़ेगी कि दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करें? यह व्यवहार केवल भलमनसाहत का बर्ताव हो सकता है। भले बनिये भलमनसाहत का बर्ताव कीजिए। आप देखेंगे आपके चारों ओर मित्र ही मित्र हैं और सब तरफ से प्रेम एवं सहानुभूति के पुष्पों की वर्षा हो रही है।