किसी परिचित सुरक्षा रक्षक से वार्तालाप कीजिये दे
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लोकतंत्र एक शासन-पद्धति भी है और एक जीवन-पद्धति भी. इसमें प्रत्येक घटक के समान अधिकार एवं कर्तव्य होते हैं. पुलिस सम्पूर्ण समाज का अंग भी होती है और उसका नियामक भी होती है. इस प्रकार पुलिस विभाग के कर्मचारियों का जीवन काँटों की सेज होता है. वह सामान्य नागरिक भी होते हैं और नागरिकता के मार्गदर्शक एवं रक्षक भी होते हैं. इंगलैंड की पुलिस का सिपाही इस दुविध कर्त्तव्य का पालन करने के कारण अत्यन्त सम्मानीय व्यक्ति होता है. वह समाज और शासन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्तम्भ माना जाता है.
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में पुलिस प्रशासन की भूमिका को किसी भी तरह नकारा नहीं जा सकता. क्योंकि इसके अभाव में लोकतंत्र उस शरीर के तुल्य है जिसमें प्राण ही नहीं होता, उस वृक्ष के सदृश है जिसकी जड़ ही नहीं होती, उस वाहन के सदृश है जिसमें पहिया ही नहीं होता और उस तल रहित पात्र के समान होता है जो विश्व सागर की लहरों के थपेड़े खाता रहता है और अन्त में उसी में डूब जाता है. इस प्रकार पुलिस प्रशासन की लोकतंत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
लोकतंत्र में पुलिस प्रशासन अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए सर्वत्र व्याप्त रहता है. समाज की बिगड़ती हुई दशा को यह ही सही रूप प्रदान करता है. समाज के प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा, उनके धन-संपत्ति की सुरक्षा, उनके धर्म की सुरक्षा, उनके प्रत्येक कार्यों में सहयोग देना, आवश्यकता पड़ने पर उनकी आर्थिक सहायता करना, समाज में फैली हुई बुराइयों का उन्मूलन करना, संक्रामक रोगों से लोगों की रक्षा करना और व्यक्तियों के मध्य जो विवाद होते हैं उनका मध्यस्थता द्वारा निपटारा करने जैसे कार्य पुलिस प्रशासन द्वारा ही सम्पन्न किए जाते हैं.
आजकल भ्रष्टाचार बडी द्रुत गति से समाज में व्याप्त होता जा रहा है. इसका बढता चरण हमारे समाज को नरक के गर्त में ढकेले जा रहा है. साधारण जन-जीवन से लेकर राजनीति तक इससे बहुत प्रभावित हुआ है. यहाँ तक कि शिक्षण व्यवस्था में भी भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है. सरकारी अधिकारी, कर्मचारी सब इसमें आकण्ठ डूबे जा रहे हैं. इसके अंधकारमय शिकंजे से उबारने के लिए जो दमदमाती दीप्ति उभरकर सामने आती है वह है “पुलिस प्रशासन” जो समाज के भ्रष्टाचारियों को समुचित दण्ड देते हुए उनका मार्गदर्शन करती है. इस प्रकार लोकतंत्र की जो गम्भीर समस्या भ्रष्टाचार’ है उसमें पुलिस प्रशासन की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है.
लोकतंत्र का मूल है “मतदान कार्यक्रम’ जिसमें यदि पुलिस प्रशासन की कड़ी व्यवस्था न हो तो शायद लोकतंत्र का होना ही असम्भव होगा. मतदान की अवधि में नाना प्रकार की समस्याएं उलझनें, परेशानियाँ आ खड़ी होती हैं, जिनका समापन पुलिस प्रशासन ही करता है. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की समस्या एक गम्भीर समस्या होती है. कारण यह है कि एक ही राजनीतिक दल सदैव सत्ताधारी बने रहना चाहता है और उसकी यह चाह ही समस्याओं की जननी होती है. इन समस्याओं का निराकरण पुलिस प्रशासन अपनी पूरी लगन और निष्ठा के साथ करता है.
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