किसी पवतीय यात्रा का वर्णन करते हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखो जिसमे प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन हो
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परीक्षा भवन,
प्रिय भाई,
सप्रेम नमस्ते,
आशा है कि तुम प्रसन्न और स्वस्थ्य होगा। बहुत दिनों से तुम्हारा कोई पत्र नहीं आया। शायद तुम भी गर्मियों की छुट्टियों में कहीं भ्रमण करने गए होंगे। भाई में तो इस वर्ष बहुत घूमकर आए हैं। कई दिनों से कार्यक्रम बन रहा था कि कहीं घूमने चलें। हम बड़े भाई के आग्रह पर हम नेपाल घूमने चले गए। हमने दिल्ली से गोरखपुर तक रेल द्वारा यात्रा की। वहाँ से बस पर नेपाल की सीमा में प्रवेश किया। नेपाल की सीमा के ‘अन्दर घुसते ही हमें बड़ी ही सुकून मिल रहा था। नेपाली लोग हाथ हिला-हिलाकर हम भारतीयों का स्वागत कर रहे थे। कुछ दूर चलने के बाद पहाड़ की चढ़ाई शुरू हुई। सांप की तरह बलखाती बस ऊपर-ही-ऊपर चढ़ी चली जा रही थी। एक ओर पर्वत व दूसरी ओर खाई बनती जा रही थी। पहाड़ों पर उगे हरे-भरे वृक्षों से वातावरण सुहावना बनता जा रहा था। पहाड़ों से निकलते झरनों का शीतल जल दृश्य में चार चाँद लगा रहा था। जब किसी को प्यास लगती, बस रुकवाकर हम झरनों से बहता शुद्ध जल पी लेते । पहाड़ों से जब नीचे देखते, तो शुद्ध बहती नदियाँ सहसा हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेतीं। वे उस समय सफेद दूधिया चादर-सी प्रतीत होती थी। काफी सफर करने के बाद हम काठमांडू पहुँच गए। रास्ते में कई छोटे-छोटे गाँव व नगर आए परन्तु काठमांडू जैसा । शहर पूरे नेपाल में कहीं नहीं देखा। साफ-सुथरी सड़कें, सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष, सजी-संवरी दुकानें, सुन्दर व मनमोहक बाग, मन को हर लेते थे। वहाँ हमने बहुत कुछ। देखा। म्युजियम व चिड़ियाघर देखने योग्य थे। चौड़ी पत्तियों व नुकीले पत्तियों वाले वृक्ष भी देखे। वैसे वहाँ महँगाई बहुत है। हर वस्तु बहुत महँगी मिलती है। परन्तु विदेशी माल । बहुत सस्ता मिलता है। मैं तुम्हारे लिए एक विदेशी छाता लए है। जब तुम यहाँ आ ओगए मैं तुम्हें छाता व वहाँ के अन्य छोटा-मोटा सामान भी देंगे , जो तुम्हारे लिए लाए है। अपना समाचार जल्दी-जल्दी दे दिया करो। पत्र के इन्तजार में तुम्हारा भाई ,
xyz।