Music, asked by shishupalkr9416, 6 months ago

किस राग में दोनों मध्यम का प्रयोग होता है​

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Answered by jyoti8409959600
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Answer:

यमन और कल्याण भले ही एक राग हों मगर यमन और कल्याण दोनों के नाम को मिला देने से एक और राग की उत्पत्ति होती है जिसे राग यमन-कल्याण कहते हैं जिसमें दोनों मध्यम का प्रयोग होता है।

Answered by Jasleen0599
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राग यमन-कल्याण

राग यमन-कल्याण राग में दोनों मध्यम का प्रयोग होता है​ |

  • यमन और कल्याण एक राग हो सकते हैं लेकिन यमन और कल्याण के नाम को मिलाकर एक और राग उत्पन्न होता है जिसे राग यमन-कल्याण कहा जाता है जिसमें दोनों माध्यमों का उपयोग किया जाता है।
  • इस समय नी रे और पार रे का प्रयोग बार-बार किया जाता है। इस राग को गंभीर प्रकृति का राग माना जाता था। मुगल शासन के दौरान मुसलमानों ने इस राग को राग यमन या राग ईमान कहना शुरू कर दिया। इस राग की विशेषता यह है कि इसमें तीक्ष्ण माध्यम का प्रयोग किया जाता है।
  • अन्य सभी आवाजें साफ सुनाई देती हैं। इस राग का कर्कश स्वर गंधार, सप्तक के पूर्व में होने के कारण यह पूर्व का प्रमुख राग है। इसलिए यमन का मुखर विस्तार सप्तक के पूर्वांग और मन्द्र सप्तक में विशेष रूप से प्रकट होता है।
  • आलाप और ताने ज्यादातर निषाद से शुरू होते हैं जैसे-, नी रे, नि, ध सा; , नी रे; ,कुछ नहीं; निमग; आदि राग यमन एक भक्तिपूर्ण, गंभीर, सुशोभित, शांत और विचारोत्तेजक रस पैदा करता है। यमन अपने स्वयं के थाट कल्याण का निर्धारण राग है, जिसका अर्थ है पूर्णिमा। यमन कल्याण और मारू बेहाग उसके समान राग हैं।

#SPJ3

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