का साराश लिखिए।
2. अपठित काव्याश को पढ़कर उचित प्रश्नोत्तर दीजिए।
समा सोमती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
विषहीन विनीत सरल हो
तीन दिवस तक पंथ मागते
रघुपति सिंधु किनारे
बैठे पडते रहे ज्द,
अनुनय के प्यारे-प्यारे।
उत्तर में जब एक नाद ही
उठा नहीं सागर से।
उठी अधीर धधक पौरुष की
आग राम केशर से।
सिन्धु देह घर बाहि-त्राहि
करता आ गिरा शरण में,
चरण पूज दासता ग्रहण की.
बधा मूड बंधन में
सच पूछो तो शर में ही.
बसती दीति विनय की
सधि वचन संपूज्य उसी का.
जिसमें शक्ति विजा की।
(क) विनम्रता किसको शोभा देती हैं
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mojhe nahi pata hai iss ka answer
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