Math, asked by uk7401782, 1 month ago

किस संख्या को योग्यतम पहचान कहा जाता है​

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Answered by ToxicSuparv
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विकास और बुद्‍धिवादी दार्शनिकों ने मानव को एक "वस्तु" बना दिया है जबकि मानव की पहचान उसके अनूठे व्यक्तित्व के आधार पर होनी चाहिए ।

सार्त्र के अनुसार मनुष्य स्वतंत्र प्राणी हैं। यदि ईश्वर का अस्तित्व होता तो वह संभवतः मनुष्य को अपनी योजना के अनुसार बनाता। किंतु सार्त्र का दावा है कि ईश्वर नहीं है अतः मनुष्य स्वतंत्र है

स्वतंत्रता का अर्थ है- चयन की स्वतंत्रता। मनुष्य के सामने विभिन्न स्थितियों में कई विकल्प उपस्थित होते हैं। स्वतंत्र व्यक्ति वह है जो उपयुक्त विकल्प का चयन अपनी अंतरात्मा के अनुसार करता है, न कि किसी बाहरी दबाव में। कीर्केगार्द ने कहा भी है कि 'महान से महान व्यक्ति की महानता भी संदिग्ध रह जाती है, यदि वह अपने निर्णय को अपनी अंतरात्मा के सामने स्पष्ट नहीं कर लेता'।

किर्कगार्द, दास्त्रावस्की, नीत्शे तथा सार्त्र (बाएँ से दाएँ, ऊपर

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