किसी स्थान को बताते समय केवल देशांतर रेखाओं का उल्लेख करें तब भी चलते हैं कदमों की पड़ताल करो
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पृथ्वी के तल पर स्थित किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति बताने के लिए उस स्थान के अक्षांश (latitude) और देेेशान्तर (Longitude) का मान बताया जाता है। किसी स्थान का रेखांश, धरातल पर उस स्थान की पूर्व-पश्चिम स्थित को बताता है। परम्परानुसार, सभी स्थानों के रेखांश को प्रधान यामोत्तर के सापेक्ष अभिव्यक्त किया जाता है।
प्रधान यामोत्तर (ग्रीनवीच रेखा) के सभी बिन्दुओं का रेखांश शून्य डिग्री (माना गया) है। धरती पर स्थित किसी स्थान को दोनों ध्रुवों से मिलाने वाला समतल, ग्रीनिच समतल से जितना कोण बनता है, वह कोण उस स्थान का रेखांश होगा। रेखांश का मान शून्य से लेकर १८० तक होता है। इस संख्या के अलावा 'पूर्व' और 'पश्चिम' भी बताया जाता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का रेखांश ८२.५ पूर्व है और इस स्थान से होकर जाने वाली यामोत्तर के समय को भारत का मानक समय स्वीकार किया गया है।