किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है?
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प्रतान :- प्रतान तने व पत्तियों के रूपांतरित रूप होते हैं। इनकी आकृति धागे एवं रस्सियों की तरह होती है।
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जब प्रतान किसी वस्तु या सहारे के संपर्क में आता है तो प्रतान का वह भाग, जो वस्तु के संपर्क में होता है उसकी वृद्धि तीव्रता से नहीं होती है, जबकि दूसरी ओर का भाग (जो संपर्क में नहीं होता है ) उसमें ऑक्सिन की सांद्रता अधिक होने के कारण वह तीव्रता से वृद्धि करता है एवं वस्तु से लिपटते हुए ऊपर बढ़ता जाता है एवं वस्तु को पकड़ लेता है।अलग-अलग दिशाओं में ऑक्सिन की सांद्रता भिन्न-भिन्न होने के कारण पौधों भागों की गति होती है।
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जब प्रतान किसी वस्तु या सहारे के संपर्क में आता है तो प्रतान का वह भाग, जो वस्तु के संपर्क में होता है उसकी वृद्धि तीव्रता से नहीं होती है, जबकि दूसरी ओर का भाग (जो संपर्क में नहीं होता है ) उसमें ऑक्सिन की सांद्रता अधिक होने के कारण वह तीव्रता से वृद्धि करता है एवं वस्तु से लिपटते हुए ऊपर बढ़ता जाता है एवं वस्तु को पकड़ लेता है।अलग-अलग दिशाओं में ऑक्सिन की सांद्रता भिन्न-भिन्न होने के कारण पौधों भागों की गति होती है।
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