किसी शिक्षक की prasansha karte hue do chhatron ke Madhya vartalap ko samvad ke roop Mein likhiye
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किसी शिक्षक की प्रशंसा करते हुये दो छात्रों के बीच वार्तालाप :-
संकेत और प्रतीक ग्याहरवीं के छात्र हैं। दोनों मित्र हैं। जो अपने केमिस्ट्री के शिक्षक 'रामनरेश' की प्रशंसा में वार्तालाप कर रहे हैं।
प्रतीक — संकेत। आज तो रामनरेश सर के पीरियड में तो मजा ही आ गया।
संकेत — सचमुच मजा आ गया। उनके पीरियड का मुझे हमेशा इंतजार रहता है।
प्रतीक — मुझे भी। मैं तो उनका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। उनका पढ़ाने का तरीका बड़ा ही रोचक है। केमिस्ट्री जैसे कठिन विषय को इतनी रोचक तरीके से पढ़ाते हैं यह हमें केमिस्ट्री जैसा विषय भी बहुत मजेदार लगने लगता है। जबकि हमें केमिस्ट्री पहले बड़ा बोरिंग लगता था।
प्रतीक — आज हम उनके पीरियड का इंतजार करते हैं।
संकेत — हां तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो। हमारी सारे शिक्षक रामनरेश सर की तरह ही पढ़ायें तो कितना अच्छा हो।
प्रतीक — तुम सही कह रहे हो। बाकी विषयों के शिक्षक तो बस वही पुराने पारंपरिक और बोरिंग तरीके से पढ़ाकर बस औपचारिकता निभा के चले जाते हैं। लेकिन वास्तव में पढ़ा कर जाते हैं तो केवल रामनरेश सर।
संकेत — हां बिल्कुल वो केमिस्ट्री के कठिन फार्मूला को भी खेल-खेल में हमें सिखा देते हैं।
प्रतीक — तुम्हे उनकी सबसे बड़ी विशेषता क्या लगती है?
संकेत — दरअसल वो पीरियड के आरंभ में कोई छोटी से रोचक कहानी या घटना सुनाते हैं जिससे छात्र उनसे बंध जाता है। फिर कहानी सुनाते सुनाते ही कब केमिस्ट्री के विषय पर आ जाते हैं पता ही नही चलता।
प्रतीक — और बीच-बीच में वो कोई न कोई मजेदार प्रसंग द्वारा या हँसी-मजाक द्वारा माहौल को हल्का बनाये रखते हैं जिससे छात्र बोर नही होते और उनके पढ़ाये पाठ को भी अच्छी तरह सीख जाते हैं।
संकेत — चलो अब चलते हैं।
प्रतीक — हाँ , चलो।