Hindi, asked by arpitmahajan846, 8 months ago

किसी शब्द के प्रारंभ में यदि 'सम्' उपसर्ग हो तो 'म्' का स्थान अनुनासिक हो जाता है।
..सही
...गलत​

Answers

Answered by Sumitnegi58
2

Answer:

उपसर्ग

जो शब्दांश किसी मूल शब्द के पहले जुड़कर उसके अर्थ मेँ परिवर्तन या विशेषता उत्पन्न कर देते हैँ, उन शब्दांशोँ को उपसर्ग कहते हैँ। जैसे –

‘हार’ एक शब्द है। इस शब्द के पहले यदि 'सम्, वि, प्र', उपसर्ग जोड़ दये जायेँ, तो– सम्+हार = संहार, वि+हार = विहार, प्र+हार = प्रहार तथा उप+हार = उपहार शब्द बनेँगे। यहाँ उपसर्ग जुड़कर बने सभी शब्दोँ का अर्थ ‘हार’ शब्द से भिन्न है।

उपसर्गोँ का अपना स्वतंत्र अर्थ नहीँ होता, मूल शब्द के साथ जुड़कर ये नया अर्थ देते हैँ। इनका स्वतंत्र प्रयोग नहीँ होता। जब किसी मूल शब्द के साथ कोई उपसर्ग जुड़ता है तो उनमेँ सन्धि के नियम भी लागू होते हैँ। संस्कृत उपसर्गोँ का अर्थ कहीँ–कहीँ नहीँ भी निकलता है। जैसे – ‘आरम्भ’ का अर्थ है– शुरुआत। इसमेँ ‘प्र’ उपसर्ग जोड़ने पर नया शब्द ‘प्रारम्भ’ बनता है जिसका अर्थ भी ‘शुरुआत’ ही निकलता है।

♦ विशेष—

यह जरूरी नहीँ है कि एक शब्द के साथ एक ही उपसर्ग जुड़े। कभी–कभी एक शब्द के साथ एक से अधिक उपसर्ग जुड़ सकते हैँ। जैसे–

• सम्+आ+लोचन = समालोचन।

• सु+आ+गत = स्वागत।

• प्रति+उप+कार = प्रत्युपकार।

• सु+प्र+स्थान = सुप्रस्थान।

• सत्+आ+चार = सदाचार।

• अन्+आ+गत = अनागत।

• अन्+आ+चार = अनाचार।

• अ+परा+जय = अपराजय।

♦ उपसर्ग के भेद –

हिन्दी भाषा मेँ चार प्रकार के उपसर्ग प्रयुक्त होते हैँ—

(1) संस्कृत के उपसर्ग,

(2) देशी अर्थात् हिन्दी के उपसर्ग,

(3) विदेशी अर्थात् उर्दू, अंग्रेजी, फारसी आदि भाषाओँ के उपसर्ग,

(4) अव्यय शब्द, जो उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होते हैँ।

1. संस्कृत के उपसर्ग

संस्कृत मेँ कुल बाईस उपसर्ग होते है। वे उपसर्ग तत्सम शब्दोँ के साथ हिन्दी मेँ प्रयुक्त होते है। इसलिए इन्हेँ संस्कृत के उपसर्ग कहते हैँ। यथा—

Similar questions