(क) 'सुशक्ति नियम' से क्या समझते हो?
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जे॰बी॰ से (Jean-Baptiste Say) ने अपनी पुस्तक ‘ट्रेट डी एकनोमिक पोल्टिक’ (Traité d'économie politique, 1803 अर्थात A Treatise on Political Economy) में बाजार सम्बन्धी जिस संक्षिप्त नियम का प्रतिपादन किया उसी नियम को ‘से’ के बाजार नियम (Say's law of markets) कहा जाता है।
‘से’ के बाजार नियम के अनुसार, पूर्ति अपनी मांग का स्वयं निर्माण करती है (Supply creates its own demand)। ‘से’ के अनुसार जिस अनुपात में पूर्ति बढ़ती या घटती है, उसी अनुपात में ही उत्पादन के साधनों की क्रय शक्ति और मांग भी बढ़ती या घटती है। इस प्रकार मांग और पूर्ति सदैव एक-दूसरे के बराबर होते है।
‘से’ के नियम के मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं-
1. सामान्य अति उत्पादन सम्भव नही है।
2. सामान्य बेरोजगारी असम्भव है।
3. आंशिक अति उत्पादन तथा आंशिक बेरोजगारी सम्भव है।
4. बेरोजगार साधन अपने उपयोग के लिये स्वयं आय उत्पन्न कर लेते है।
5. अर्थव्यवस्था के सभी आर्थिक तत्त्वों में स्वतः समन्वय स्थापित हो जाता है।
6. मुद्रा केवल एक आवरण मात्र ही है।