किसी दूसरे के काम के लिए प्रशंसा की दावेदारी करना I
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जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : शाहदरा के वेस्ट गोरख पार्क स्थित श्री राज माता झंडे वाला मंदिर में सत्संग का आयोजन किया गया। इस मौके पर स्वामी राजेश्वरानंद राजगुरु महाराज ने भक्तों को श्रेष्ठता का वास्तविकता का अर्थ समझाया। उन्होंने कहा कि समाज में दो प्रकार के लोग होते हैं। इनमें से एक वे होते हैं जो कि दूसरों के अतीत या वर्तमान में घटी किसी न किसी बुराई की चर्चा कर स्वयं को अच्छा और दूसरे से श्रेष्ठ सिद्ध करने के चक्कर में रहते हैं। वहीं दूसरे प्रकार के वे लोग होते हैं जो छोटे से छोटे आदमी की भी कोई न कोई अच्छाई की चर्चा कर दूसरे को ही श्रेष्ठतम प्रस्तुत करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। जबकि वास्तव में जो लोग दूसरों की बुराई करते हैं उनमें स्वयं ही कोई गुण नहीं होता और उनकी मानसिकता भी वैसी ही नकारात्मक बन चुकी होती है। इसके विपरीत जो लोग दूसरों की प्रशंसा करते हैं उनके भीतर प्रेम गुण बसते हैं, तभी उन्हें दूसरे में भी गुण ही दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि हमें किसी का बुरा पक्ष दिखाकर नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति का बेहतर पक्ष दिखाकर ही अपना व्यक्तित्व सुंदर बनाना चाहिए। दूसरे की बुराई दिखाने से कोई फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ही होगा। अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना जाता है कि मैंने कोई अपराध नहीं किया। याद रखना, अगर किसी निर्दोष आदमी पर व्यर्थ का दोषारोपण किया है, तो वह भी अपराध की ही श्रेणी में शामिल है। चतुर आदमी अगर कोई गलती करता है तो उसे समझाने का प्रयास करें। अगर कोई भोला व मासूम आदमी कोई गलती करे तो उसको कड़वा शब्द या उस पर अधिक दोषारोपण कभी मत करना, वरना यही सबसे बड़ा अपराध व पाप सिद्ध हो सकता है।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : शाहदरा के वेस्ट गोरख पार्क स्थित श्री राज माता झंडे वाला मंदिर में सत्संग का आयोजन किया गया। इस मौके पर स्वामी राजेश्वरानंद राजगुरु महाराज ने भक्तों को श्रेष्ठता का वास्तविकता का अर्थ समझाया। उन्होंने कहा कि समाज में दो प्रकार के लोग होते हैं। इनमें से एक वे होते हैं जो कि दूसरों के अतीत या वर्तमान में घटी किसी न किसी बुराई की चर्चा कर स्वयं को अच्छा और दूसरे से श्रेष्ठ सिद्ध करने के चक्कर में रहते हैं। वहीं दूसरे प्रकार के वे लोग होते हैं जो छोटे से छोटे आदमी की भी कोई न कोई अच्छाई की चर्चा कर दूसरे को ही श्रेष्ठतम प्रस्तुत करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। जबकि वास्तव में जो लोग दूसरों की बुराई करते हैं उनमें स्वयं ही कोई गुण नहीं होता और उनकी मानसिकता भी वैसी ही नकारात्मक बन चुकी होती है। इसके विपरीत जो लोग दूसरों की प्रशंसा करते हैं उनके भीतर प्रेम गुण बसते हैं, तभी उन्हें दूसरे में भी गुण ही दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि हमें किसी का बुरा पक्ष दिखाकर नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति का बेहतर पक्ष दिखाकर ही अपना व्यक्तित्व सुंदर बनाना चाहिए। दूसरे की बुराई दिखाने से कोई फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ही होगा। अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना जाता है कि मैंने कोई अपराध नहीं किया। याद रखना, अगर किसी निर्दोष आदमी पर व्यर्थ का दोषारोपण किया है, तो वह भी अपराध की ही श्रेणी में शामिल है। चतुर आदमी अगर कोई गलती करता है तो उसे समझाने का प्रयास करें। अगर कोई भोला व मासूम आदमी कोई गलती करे तो उसको कड़वा शब्द या उस पर अधिक दोषारोपण कभी मत करना, वरना यही सबसे बड़ा अपराध व पाप सिद्ध हो सकता है।
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