किसी देश की आर्थिक उन्नति उसके उद्योग - धंधों पर निर्भर करती हैं । उद्योग - धंधे उस देश में पाए जाने वाले
खनिज की मात्रा पर आधारित होते हैं । इस दृष्टि से हमारा देश अत्यंत समृद्धशाली है। हमारे यहाँ के भूगर्भ में अनेक
प्रकार के खनिज भरे पड़े हैं। यदि हम इन खनिजों का उचित ढंग से उपयोग करें तो हम औद्योगिक दृष्टि से आत्म-निर्भर
हो सकते हैं। छोटा नागपुर के पठार में खनिजों का भंडार है। हम अपने देश से अभ्रक, मैगनीज़ , ग्रेनाइट आदि खनिजों का
निर्यात करते हैं।
को उद्योग-धंधे किस पर आधारित होते हैं ?
ख) हम किन खनिजों का निर्यात करते हैं ?
हम औद्योगिक दृष्टि से कैसे आत्म-निर्भर हो सकते हैं ?
घ) दिए गए शब्दों के समानार्थी शब्द गदयांश में से ढूँढ़कर लिखिए -
ग)
१ मुल्क
२ नज़र
ङ) उपर्युक्त गदयांश का उचित शीर्षक लिखिए।
Answers
प्राकृतिक संसाधनों को संसाधित कर के अधिक उपयोगी एवं मूल्यवान वस्तुओं में बदलना विनिर्माण कहलाता है। ये विनिर्मित वस्तुएँ कच्चे माल से तैयार की जाती हैं। विनिर्माण उद्योग में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल या तो अपने प्राकृतिक स्वरूप में सीधे उपयोग में ले लिये जाते हैं जैसे कपास, ऊन, लौह अयस्क इत्यादि अथवा अर्द्ध-संशोधित स्वरूप में जैसे धागा, कच्चा लोहा आदि जिन्हें उद्योग में प्रयुक्त कर के और अधिक उपयोगी एवं मूल्यवान वस्तुओं के रूप में बदला जाता है। अतः किसी विनिर्माण उद्योग से विनिर्मित वस्तुएँ दूसरे विनिर्माण उद्योग के लिये कच्चे माल का कार्य करती हैं। अब यह सर्वमान्य तथ्य है कि किसी भी देश की आर्थिक-प्रगति या विकास उसके अपने उद्योगों के विकास के बिना संभव नहीं है।
औद्योगिक विकास के स्तर का किसी देश की आर्थिक सम्पन्नता से सीधा सम्बन्ध है। विकसित देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, रूस की आर्थिक सम्पन्नता इन देशों की औद्योगिक इकाइयों की प्रोन्नत एवं उच्च विकासयुक्त वृद्धि से जुड़ा है। औद्योगिक दृष्टि से अविकसित देश अपने प्राकृतिक संसाधानों का निर्यात करते हैं तथा विनिर्मित वस्तुओं को अधिक मूल्य चुकाकर आयात करते हैं। इसीलिये आर्थिक रूप से ये देश पिछड़े बने रहते हैं।