किसी देश के लिए संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों को साफ-साफ निर्धारण क्यों ज़रूरी है? इस तरह का निर्धारण न हो, तो क्या होगा?
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किसी भी देश को चलाने के लिए संविधान की जरूरत होती है।
संविधान में पूरे देश के अधिकारियों देश की बनावट देश की विभिन्न प्रदेशों की विभाजन की विधि। तथा कार्यपालिका न्यायपालिका एवं जितने भी विभाग और जितने भी अधिकारी होते हैं। उन सबों का उल्लेख संविधान में किया गया होता है। सभी अधिकारियों की जिम्मेदारियां उसमें निर्धारित होती है। जितने भी पद आसीन अधिकारी होते हैं। उनकी शक्तियों को सीमित करना संविधान में वर्णित है। किसी भी देश को चलाने के लिए संविधान का होना अति आवश्यक होता है।
आपका प्रश्न यह है
- किसी देश के लिए संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों को साफ-साफ निर्धारण क्यों जरूरी है इसका उत्तर मैंने ऊपर दिया है।
- इस तरह का निर्धारण ना हो तो क्या होगा।
अगर सभी अधिकारियों पद आसीन मंत्रियों तथा सभी कार्यकर्ताओं की शक्तियों की सीमा और उसके आरंभ और पतन की प्रक्रिया और उनकी शक्तियों की सीमाओं को सीमित ना किया गया, तो वह अपनी मनमानी करेंगे और पूरी अर्थव्यवस्था खराब हो जाएगी। वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग भी कर सकते हैं , इत्यादि।
किसी देश के लिए संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों को साफ-साफ निर्धारण क्यों ज़रूरी है? इस तरह का निर्धारण न हो, तो क्या होगा ?
किसी देश के लिए संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों को साफ-साफ निर्धारण क्यों ज़रूरी है , क्योंकि संविधान में सरकार के द्वारा अभी अंगों और प्रशासन की सभी विभागों में शक्तियां और जिम्मेदारियां अलग-अलग तरीके से नियुक्त की गई है | सभी चुने हुए प्रतिनिधि अपने-अपने विभागों और क्षेत्र में अच्छे से कार्य करें और पालन करें | इस तरह का निर्धारण न हो, तो राज्य में काम करने का तरीका बढ़ जाएगी वह किसी को जिम्मेवार नहीं ठहराया जाएगा | अस्पष्टता बढ़ जाएगी जिसके कारण केंद्र एवं राज्यों में मतभेद एवं गतिरोध की संभावना बढ़ जाएगी | इसी तरह देश प्रगित की और जाएगा |
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