Hindi, asked by ys594378, 8 months ago

किसी देश की संस्कृति से आप क्या समझते हैं? please give answer fast.....​

Answers

Answered by sonikasharma3513366
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Answer:

किसी भी देश की संस्कृति, उस देश में निवास करने वाले सामान्य जन के रहन-सहन, आचार-विचार, खान-पान, वस्त्र-आभूषण, नृत्य-गीत-संगीत, जन्म, विवाह, मृत्यु आदि संस्कारों से निर्मित होती है।

Explanation:

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Answered by mangalasingh00978
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Answer:

संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र स्वरूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने के स्वरूप में अन्तर्निहित होता है।[1]यह ‘कृ’ (करना) धातु से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ की मूल स्थिति,यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो ‘विकृत’ हो जाता है। अंग्रेजी में संस्कृति के लिये 'कल्चर' शब्द प्रयोग किया जाता है जो लैटिन भाषा के ‘कल्ट या कल्टस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है जोतना, विकसित करना या परिष्कृत करना और पूजा करना। संक्षेप में, किसी वस्तु को यहाँ तक संस्कारित और परिष्कृत करना कि इसका अंतिम उत्पाद हमारी प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर सके। यह ठीक उसी तरह है जैसे संस्कृत भाषा का शब्द ‘संस्कृति’।

कोलम्बियाई संस्कृति को दर्शाता हुआ चित्र

संस्कृति का शब्दार्थ है - उत्तम या सुधरी हुई स्थिति। मनुष्य स्वभावतः प्रगतिशील प्राणी है। यह बुद्धि के प्रयोग से अपने चारों ओर की प्राकृतिक परिस्थिति को निरन्तर सुधारता और उन्नत करता रहता है। ऐसी प्रत्येक जीवन-पद्धति, रीति-रिवाज रहन-सहन आचार-विचार नवीन अनुसन्धान और आविष्कार, जिससे मनुष्य पशुओं और जंगलियों के दर्जे से ऊँचा उठता है तथा सभ्य बनता है। सभ्यता संस्कृति का अंग है। सभ्यता (Civilization) से मनुष्य के भौतिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है जबकि संस्कृति (Culture) से मानसिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है। मनुष्य केवल भौतिक परिस्थितियों में सुधार करके ही सन्तुष्ट नहीं हो जाता। वह भोजन से ही नहीं जीता, शरीर के साथ मन और आत्मा भी है। भौतिक उन्नति से शरीर की भूख मिट सकती है, किन्तु इसके बावजूद मन और आत्मा तो अतृप्त ही बने रहते हैं। इन्हें सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और उन्नति करता है, उसे संस्कृति कहते हैं। मनुष्य की जिज्ञासा का परिणाम धर्म और दर्शन होते हैं। सौन्दर्य की खोज करते हुए वह संगीत, साहित्य, मूर्ति, चित्र और वास्तु आदि अनेक कलाओं को उन्नत करता है। सुखपूर्वक निवास के लिए सामाजिक और राजनीतिक संघटनों का निर्माण करता है। इस प्रकार मानसिक क्षेत्र में उन्नति की सूचक उसकी प्रत्येक सम्यक् कृति संस्कृति का अंग बनती है। इनमें प्रधान रूप से धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञानों और कलाओं, सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाओं और प्रथाओं का समावेश होता है।

भारत के आदिवासी स्वयं की पहचान और संस्कृति को बचाने के लिए, भिन्न धर्म बनाने लिए भारत शासन से आधिकारिक मान्यता चाहते है।

Explanation:

अनेकता में एकता’ सिर्फ कुछ शब्द नहीं हैं, बल्कि यह एक ऐसी चीज़ है जो भारत जैसे सांस्कृतिक और विरासत में समृद्ध देश पर पूरी तरह लागू होती है। कुछ आदर्श वाक्य या बयान, भारत के उस दर्जे को बयां नहीं कर सकते जो उसने विश्व के नक्शे पर अपनी रंगारंग और अनूठी संस्कृति से पाया है। मौर्य, चोल और मुगल काल और ब्रिटिश साम्राज्य के समय तक भारत हमेशा से अपनी परंपरा और आतिथ्य के लिए मशहूर रहा। रिश्तों में गर्माहट और उत्सवों में जोश के कारण यह देश विश्व में हमेशा अलग ही नजर आया। इस देश की उदारता और जिंदादिली ने बड़ी संख्या में सैलानियों को इस जीवंत संस्कृति की ओर आकर्षित किया, जिसमें धर्मों, त्यौहारों, खाने, कला, शिल्प, नृत्य, संगीत और कई चीजों का मेल है। ‘देवताओं की इस धरती’ में संस्कृति, रिवाज़ और परंपरा से लेकर बहुत कुछ खास रहा है।

भारतीय मूल्य - सूक्ष्म, सही और अनंत

‘भारतीय जीवनशैली प्राकृतिक और असली जीवनशैली की दृष्टि देती है। हम खुद को अप्राकृतिक मास्क से ढंक कर रखते हैं। भारत के चेहरे पर मौजूद हल्के निशान रचयिता के हाथों के निशान हैं’। ..... जाॅर्ज बर्नाड शाॅ

भारतीय संस्कृति का केनवास विशाल है और उस पर हर प्रकार के रंग और जीवंतता है। यह देश कई सदियों से सहिष्णुता, सहयोग और अहिंसा का जीवंत उदाहरण रहा है और आज भी है। इसके विभिन्न रंग इसकी विभिन्न विचारधाराओं में मिलते हैंः

सहिष्णुता और अहिंसाः पूरे विश्व में भारत एक ऐसा देश है जिसकी विशेषता इसकी सहिष्णुता रही है और यह आगे होकर हथियार और गोला बारुद का इस्तेमाल नहीं करता है। महात्मा गांधी का सत्याग्रह का आंदोलन इसका सबूत है। स्वामी विवेेकानंद ने भी इसे 11 सितंबर 1893 को शिकागो में दिए अपने भाषण में अच्छी तरह दर्शाया था। ‘दुनिया में भिक्षुओं की सबसे प्राचीन रीति, सन्यासियों का वैदिक व्यवहार और एक धर्म जिसने विश्व को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति दोनों सिखाया है।’

धर्मनिरपेक्षताः भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश होने के मामले में सबसे आगे है। पूजा और अपने धर्म के पालन की आजादी भारत में विविध संस्कृतियों के सामंजस्यपूर्ण अस्तित्व की अभिव्यक्ति है। ना किसी धर्म को नीची नज़र से देखा जाता है, ना किसी को खास उंचा स्थान दिया जाता है। वास्तव में मुसीबत के समय सभी धर्म अपने सांस्कृतिक मतभेद होने के बाद भी साथ आते हैं और विविधता में एकता दिखाते हैं।

सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधः भारत का इतिहास भाईचारे और सहयोग के उदाहरणों से भरा पड़ा है। इतिहास में अलग अलग समय में विदेशी हमलावरों के कई वार झेलने के बाद भी इसकी संस्कृति और एकता कभी नहीं हारी और हमेशा कायम रही।

भारतीय संस्कृति - पारंपरिक लेकिन समकालीन

किसी भी देश के विकास में उसकी संस्कृति का बहुत योगदान होता है। देश की संस्कृति, उसके मूल्य, लक्ष्य, प्रथाएं और साझा विश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारतीय संस्कृति कभी कठोर नहीं रही इसलिए यह आधुनिक काल में भी गर्व के साथ जिंदा है। यह दूसरी संस्कृतियों की विशेषताएं सही समय पर अपना लेती है और इस तरह एक समकालीन और स्वीकार्य परंपरा के तौर पर बाहर आती है। समय के साथ चलते रहना भारतीय संस्कृति की सबसे अनूठी बात है। भारत की कुछ बातें हैं जो पूरी दुनिया मे

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