Social Sciences, asked by shrabanti8, 11 months ago

. किसी देश में सत्ता में साझेदारी आपसी टकराव की संभावना को किस प्रकार रोकती है?​

Answers

Answered by pranatosh02826oyqjdi
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Explanation:

सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक शासन में लोकतंत्र से प्रभावित होने वाले और उस प्रभाव में जीवन जीने वाले लोगों के बीच सत्ता की साझेदारी निहित है। इस शासन व्यवस्था में प्रत्येक सामाजिक समूह और समुदाय की भागीदारी सरकार में होती है। लोगों के पास इस बात का अधिकार होता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाये। किसी भी वैध सरकार में हर नागरिक का हिस्सा होता है और यह भागीदारी के द्वारा आता है।

भारत में सत्ता की साझेदारी

भारत एक लोकतांत्रिक देश है। भारत के लोग सीधे मताधिकार के माध्यम से अपना प्रतिनिधि चुनते हैं। उसके बाद चुने हुए प्रतिनिधि एक सरकार को चुनते हैं। यह सरकार रोजमर्रा का शासन चलाती है और नियम और कानून का संशोधन करती है या नये नियम बनाती है।

लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है कि हर प्रकार की राजनैतिक शक्ति का स्रोत प्रजा होती है। लोकतंत्र में लोग स्वराज की संस्थाओं के माध्यम से अपने आप पर शासन करते हैं। एक अच्छी लोकतांत्रिक सरकार में समाज में उपस्थित विविध समूहों और मतों को उचित सम्मान दिया जाता है। जन नीतियों के निर्माण में हर किसी की आवाज सुनी जाती है। इसलिये यह जरूरी हो जाता है कि किसी भी लोकतंत्र में राजनैतिक सत्ता का बँटवारा अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो।

सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता

सत्ता की साझेदारी से विभिन्न सामजिक समूहों में टकराव को कम करने में मदद मिलती है। इसलिये समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी जरूरी है।

सत्ता की साझेदारी से बहुसंख्यकों के आतंक से बचा जा सकता है। बहुसंख्यक के आतंक से न केवल अल्पसंख्यक समूह तबाह हो जाता है बल्कि बहुसंख्यक समूह भी तबाह होता है।

लोगों की आवाज ही लोकतांत्रिक सरकार का आधार बनाती है। इसलिये लोकतंत्र की आत्मा का सम्मान रखने के लिये सत्ता की साझेदारी जरूरी है।

समाज में टकराव और बहुसंख्यक के आतंक को रोकना सत्ता की साझेदारी का समझदारी भरा कारण है। लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखना सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण है।

सत्ता की साझेदारी के रूप:

शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा:

शासन के विभिन्न अंगों; जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका; के बीच सत्ता का बँटवारा होता है। इस तरह के बँटवारे को क्षैतिज बँटवारा कहा जा सकता है क्योंकि इसमें सत्ता के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं।

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