किस दृष्ट और सोच से मूर्ति लगवाने का यह प्रयास सफल और असहनीय था नेताजी का चश्मा
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नेताजी का चश्मा पाठ में मूर्ति लगवाने का यह प्रयास सफल असहनीय बताया गया है कि इस कहानी में एक चौराहे पर नेता जी की मूर्ति लगी हुई थी। उस मूर्ति में केवल एक चश्मे की कमी थी। कैप्टन जो एक चश्मे बेचने वाला व्यक्ति था, उसके हृदय में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी इसलिए वह अपने पास से कुछ गिने-चुने फ्रेम में से कोई एक चश्मा नेताजी पर लगा देता था।
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