Hindi, asked by harsh944848, 7 months ago

किसी विषय पर एक कहानी ​

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Answered by Anonymous
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Answer:

किसी गांव में एक व्यापारी रहता था तथा उसकी भगवान में बड़ी आस्था थी। एक बार व्यापारी किसी दूसरे शहर से अपने घर लौट रहा था। बस से उतरकर वह पैदल अपने घर के रास्ते पर जा रहा था, तभी रास्ते में उसे एक बड़ा सा चमकीला पत्थर दिखा। उस पत्थर की ओर व्यापारी आकर्षित हो गया और उसने सोचा कि क्यों न इसे अपने साथ ले जाऊं? इस खूबसूरत पत्थर से अपने घर के लिए शानदार भगवान की मूर्ति बनवाऊंगा।

व्यापारी ने पत्थर उठा लिया और रास्ते में ही एक प्रसिद्ध मूर्तिकार की दुकान पर रुका और उसे कहा- इस पत्थर की एक खूबसूरत-सी देवी मां की प्रतिमा बना दीजिए।

मूर्तिकार ने कहा- ठीक है बन जाएगी, आप कुछ दिन बाद आकर ले जाइएगा।

अब मूर्तिकार ने उस पत्थर को तराशने का काम शुरू किया और अपने औजार लेकर पत्थर को काटने में जुट गया। जैसे ही मूर्तिकार ने पहला वार किया उसे पता चला कि पत्थर बहुत ही कठोर है। मूर्तिकार ने एक बार फिर से पूरे जोश के साथ प्रहार किया लेकिन पत्थर टस से मस भी नहीं हुआ। अब तो उसको पसीना छूट गया। वो लगातार हथौड़े से प्रहार करता रहा लेकिन पत्थर नहीं टूटा। उसने लगातार कई दिनों तक प्रयास किए और अपनी तरफ से 99% मेहनत की लेकिन पत्थर तोड़ने में नाकाम रहा।

कुछ दिन बाद जब व्यापारी मूर्तिकार से अपनी मूर्ति लेने आया, तब मूर्तिकार ने उसे सारी बात बताते हुए कहा कि इस पत्थर से तो आपकी मूर्ति नहीं बन पाएगी। व्यापारी यह सुनकर दु:खी हो गया और अपना पत्थर लेकर वह वहां से चला गया। आगे जाकर उसने किसी दूसरी दुकान के मूर्तिकार को वही पत्थर मूर्ति बनाने के लिए दे दिया।

अब इस मूर्तिकार ने अपने औजार उठाए और पत्थर काटने में जुट गया। जैसे ही उसने पहला हथौड़ा मारा पत्थर टूट गया, चूंकि पत्थर पहले मूर्तिकार की चोटों से काफी कमजोर हो गया था। व्यापारी यह देखकर बहुत खुश हुआ और देखते ही देखते मूर्तिकार ने देवी मां की सुंदर प्रतिमा बना दी। व्यापारी मन ही मन पहले मूर्तिकार की दशा सोचकर मुस्कुराया कि उस मूर्तिकार ने 99% मेहनत की लेकिन आखिर में थक गया। काश! उसने एक आखिरी प्रहार और भी किया होता तो वो सफल हो जाता।

दोस्तो, यही बात हम में से कई लोगों पर भी लागू होती है। बहुत से लोग जिन्हें लगता है कि कठिन प्रयासों के बावजूद वे सफल नहीं हो पा रहे, लेकिन सच तो यह है कि वो आखिरी प्रयास से पहले ही थक जाते हैं। लगातार कोशिशें करते रहिए। क्या पता आपका अगला प्रयास ही वो आखिरी प्रयास हो, जो आपका जीवन बदल दे।

Explanation:

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Answered by Anonymous
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एक बार की बात है, किसी जंगल में एक कौवा रहता था, वो बहुत ही खुश था, क्योंकि उसकी ज्यादा इच्छाएं नहीं थीं। वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट था, लेकिन एक बार उसने जंगल में किसी हंस को देख लिया और उसे देखते ही सोचने लगा कि ये प्राणी कितना सुन्दर है, ऐसा प्राणी तो मैंने पहले कभी नहीं देखा! इतना साफ और सफेद। यह तो इस जंगल में औरों से बहुत सफेद और सुंदर है, इसलिए यह तो बहुत खुश रहता होगा।

कोवा हंस के पास गया और पूछा, भाई तुम इतने सुंदर हो, इसलिए तुम बहुत खुश होगे?

इस पर हंस ने जवाब दिया, हां मैं पहले बहुत खुश रहता था, जब तक मैंने तोते को नहीं देखा था। उसे देखने के बाद से लगता है कि तोता धरती का सबसे सुंदर प्राणी है। हम दोनों के शरीर का तो एक ही रंग है लेकिन तोते के शरीर पर दो-दो रंग है, उसके गले में लाल रंग का घेरा और वो सूर्ख हरे रंग का था, सच में वो बेहद खूबसूरत था।

अब कौवे ने सोचा कि हंस तो तोते को सबसे सुंदर बता रहा है, तो फिर उसे देखना होगा।

कौवा तोते के पास गया और पूछा, भाई तुम दो-दो रंग पाकर बड़े खुश होगे?

इस पर तोते ने कहा, हां मैं तब तक खुश था जब तक मैंने मोर को नहीं देखा था। मेरे पास तो दो ही रंग हैं लेकिन मोर के शरीर पर तो कई तरह के रंग हैं।

अब कौवे ने सोचा सबसे ज्यादा खुश कौन है, यह तो मैं पता करके ही रहूंगा। इसलिए अब मोर से मिलना ही पड़ेगा। कौए ने मोर को जंगल में ढूंढा लेकिन उसे पूरे जंगल में एक भी मोर नहीं मिला और मोर को ढूंढते-ढूंढते वह चिड़ियाघर में पहुंच गया, तो देखा मोर को देखने बहुत से लोग आए हुए हैं और उसके आसपास अच्छी खासी भीड़ है।

सब लोगों के जाने के बाद कौवे ने मोर से पूछा, भाई तुम दुनिया के सबसे सुंदर जीव हो और रंगबिरंगे हो, तुम्हारे साथ लोग फोटो खिंचवा रहे थे। तुम्हें तो बहुत अच्छा लगता होगा और तुम तो दुनिया के सबसे खुश जीव होगे?

इस पर मोर ने दुखी होते हुए कहा, भाई अगर सुंदर हूं तो भी क्या फर्क पड़ता है! मुझे लोग इस चिड़ियाघर में कैद करके रखते हैं, लेकिन तुम्हें तो कोई चिड़ियाघर में कैद करके नहीं रखता और तुम जहां चाहो अपनी मर्जी से घूम-फिर सकते हो। इसलिए दुनिया के सबसे संतुष्ट और खुश जीव तो तुम्हें होना चाहिए, क्योंकि तुम आज़ाद रहते हो। कौवा हैरान रह गया, क्‍योंकि उसके जीवन की अहमियत कोई दूसरा बता गया।

दोस्तों, ऐसा ही हम लोग भी करते हैं। हम अपनी खुशियों और गुणों की तुलना दूसरों से करते हैं, ऐसे लोगों से जिनका रहन-सहन का माहौल हमसे बिलकुल अलग होता है। हमारी जिंदगी में बहुत सारी ऐसी चीज़ें होती हैं, जो केवल हमारे पास हैं, लेकिन हम उसकी अहमियत समझकर खुश नहीं होते। लेकिन दूसरों की छोटी ख़ुशी भी हमें बड़ी लगती है, जबकि हम अपनी बड़ी खुशियों को इग्नोर कर देते हैं।

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