History, asked by Pakali1870, 9 months ago

किस वेद में सोमरस की प्रार्थना के अनेक मंत्र उल्लिखित हैं?

Answers

Answered by aRyAn1762
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सोमरस, मदिरा और सुरापान तीनों में फर्क है। ऋग्वेद में कहा गया है- ।।हृत्सु पीतासो युध्यन्ते दुर्मदासो न सुरायाम्।। यानी सुरापान करने या नशीले पदार्थों को पीने वाले अक्सर युद्ध, मार-पिटाई या उत्पात मचाया करते हैं। ऋचाओं में लिखा गया है कि 'यह निचोड़ा हुआ शुद्ध दधिमिश्रित सोमरस, सोमपान की प्रबल इच्छा रखने वाले इंद्रदेव को प्राप्त हो।। (ऋग्वेद-१/५/५) ...हे वायुदेव! यह निचोड़ा हुआ सोमरस तीखा होने के कारण दुग्ध यानी दूध में मिलाकर तैयार किया गया है। आइए और इसका पान कीजिए।। (ऋग्वेद-१/२३/१) ।। यहां इन सारी ही ऋचाओं में सोमरस में दूध व दही मिलाने की बात हो रही है यानी सोमरस शराब यानी मदिरा नहीं हो सकता। मदिरा के पान के लिए मद पान शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जबकि सोमरस के लिए सोमपान का उपयोग हुआ है। मद का अर्थ नशा या उन्माद है जबकि सोम का अर्थ शीतल अमृत होता है।

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