किसी विधेयक को कानून बनने के क्रम में जिन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है उन्हें क्रमवार सजाएँ।
(क) किसी विधेयक पर चर्चा के लिए प्रस्ताव पारित किया जाता है।
(ख) विधेयक भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है - बताएँ कि वह अगर इस पर हस्ताक्षर नहीं करता/करती है, तो क्या होता है?
(ग) विधेयक दूसरे सदन में भेजा जाता है और वहाँ इसे पारित कर दिया जाता है।
(घ) विधेयक का प्रस्ताव जिस सदन में हुआ है उसमें यह विधेयक पारित होता है।
(ङ) विधेयक की हर धारा को पढ़ा जाता है और प्रत्येक धारा पर मतदान होता है।
(च) विधेयक उप-समिति के पास भेजा जाता है - समिति उसमें कुछ फेरबदल करती है और चर्चा के लिए सदन में भेज देती है।
(छ) संबद्ध मंत्री विधेयक को ज़रूरत के बारे में प्रस्ताव करता है।
(ज) विधि मंत्रालय का कानून-विभाग विधेयक तैयार करता है।
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Answer with Explanation:
किसी विधेयक को कानून बनने के क्रम में जिन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है उन्हें क्रमवार निम्न प्रकार से सजाया है :
1.(ज) विधि मंत्रालय का कानून-विभाग विधेयक तैयार करता है।
2. (छ) संबद्ध मंत्री विधेयक को ज़रूरत के बारे में प्रस्ताव करता है।
3. (क) किसी विधेयक पर चर्चा के लिए प्रस्ताव पारित किया जाता है।
4. (च) विधेयक उप-समिति के पास भेजा जाता है - समिति उसमें कुछ फेरबदल करती है और चर्चा के लिए सदन में भेज देती है।
5. (ङ) विधेयक की हर धारा को पढ़ा जाता है और प्रत्येक धारा पर मतदान होता है।
6. (घ) विधेयक का प्रस्ताव जिस सदन में हुआ है उसमें यह विधेयक पारित होता है।
7. (ग) विधेयक दूसरे सदन में भेजा जाता है और वहाँ इसे पारित कर दिया जाता है।
8. (ख) विधेयक भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है । पहली बार राष्ट्रपति विधेयक पर हस्ताक्षर करने की अपेक्षा उसे वापस संसद के पास भेज देता है ,परंतु संसाधनों पुनः उसे पास करके राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज देती है, तब राष्ट्रपति को स्वीकृति देनी पड़ती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
आप निम्नलिखित में से किस कथन से सबसे ज्यादा सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण दें।
(क) सांसद/विधायकों को अपनी पसंद की पार्टी में शामिल होने की छूट होनी चाहिए।
(ख) दलबदल विरोधी कानून के कारण पार्टी के नेता का दबदबा पार्टी के सांसद/विधायकों पर बढ़ा है। (ग) दलबदल हमेशा स्वार्थ के लिए होता है और इस कारण जो विधायक/सांसद दूसरे दल में शामिल होना चाहता है उसे आगामी दो वर्षों के लिए मंत्री पद के अयोग्य करार कर दिया जाना चाहिए।
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डॉली और सुधा में इस बात पर चर्चा चल रही थी कि मौजूदा वक्त में संसद कितनी कारगर और प्रभावकारी है। डॉली का मानना था कि भारतीय संसद के कामकाज में गिरावट आयी है। यह गिरावट एकदम साफ दिखती है क्योंकि अब बहस-मुबाहिसे पर समय कम खर्च होता है। और सदन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करने अथवा वॉकआउट (बहिर्गमन) करने में ज्यादा। सुधा का तर्क था कि लोकसभा में अलग-अलग सरकारों ने मुँह की खायी है, धाराशायी हुई हैं। आप सुधा या डॉली के तर्क के पक्ष या विपक्ष में और कौन सा तर्क देंगे?
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Answer:
अपभ्रंश - आधुनिक भाषाएं
शौरसेनी - पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी, पहाड़ी , गुजराती
पैशाची - लहंदा, पंजाबी
ब्राचड - सिंधी
महाराष्ट्री - मराठी
मगधी - बिहारी, बंगला, उड़िया, असमिया