किसी व्यक्ति का पहचान उसके कर्मों के आधार पर क्यों करना चाहिए
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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 – साखियाँ एवं सबद
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Chapter 9 – साखियाँ एवं सबद
Page No 93:
Question 14:
संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
Answer:
प्रस्तुत दोहों में कबीरदास जी ने धार्मिक एकता तथा साम्प्रदायिक सद्भावना के विचार को व्यक्त किया है। उन्होंने हिंदु-मुस्लिम एकता का समर्थन किया तथा धार्मिक कुप्रथाओं जैसे – मूर्तिपूजा का विरोध किया है। ईश्वर मंदिर, मस्जिद तथा गुरुद्वारे में नहीं होते हैं बल्कि मनुष्य की आत्मा में व्याप्त हैं। कबीरदास जी का उद्देश्य समाज में एकता स्थापित कर कुप्रथाओं को नष्ट करना था। इसी संदर्भ में कबीरदास जी कहते हैं –
“जाति-पाति पूछै नही कोए।
हरि को भजै सो हरि का होए।”
Question 1:
‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?
Answer:
‘मानसरोवर’ से कवि का आशय हृदय रुपी तालाब से है। जो हमारे मन में स्थित है।
Question 2:
कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?
Answer:
सच्चे प्रेम से कवि का तात्पर्य भक्त की ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति से है। एक भक्त की कसौटी उसकी भक्ति है। अर्थात् ईश्वर की प्राप्ति ही भक्त की सफलता है।
Question 3:
तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है?
Answer:
कवि ने यहाँ सहज ज्ञान को महत्व दिया है। वह ज्ञान जो सहजता से सुलभ हो हमें उसी ज्ञान की साधना करनी चाहिए।
Question 4:
इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?
Answer:
जो भक्त निष्पक्ष भाव से ईश्वर की आराधना करता है, संसार में वही सच्चा संत कहलाता है।
Question 5:
अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?
Answer:
अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीरदास जी ने समाज में व्याप्त धार्मिक संकीर्णताओं, समाज की जाति-पाति की असमानता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करने की चेष्टा की है।
Question 6:
किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
Answer:
व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्धारण उसकी जाति या धर्म से न होकर उसके कर्मों के आधार पर होती है। कबीर ने स्वर्ण कलश और सुरा (शराब) के माध्यम से अपनी बात स्पष्ट की है।
जिस प्रकार सोने के कलश में शराब भर देने से शराब का महत्व बढ़ नहीं जाता तथा उसकी प्रकृति नहीं बदलती। उसी प्रकार श्रेष्ठ कुल में जन्म लेने मात्र से किसी भी व्यक्ति का गुण निर्धारित नहीं किया जा सकता। मनुष्य के गुणों की पहचान उनके कर्म से होती है। अपने कर्म के माध्यम से ही हम समाज मे प्रतिष्ठित होते हैं। कुल तथा जाति द्वारा प्राप्त प्रतिष्ठा अस्थाई होती है।